Wednesday 31 December 2008
आ रहा है नया साल ले लो मेरी भी मुबारकबाद
सुखदायक
धनवर्धक
स्वास्थ्वर्धक
मंगलमय
और प्रगतिशील हो
यही हमारी भगवान से प्रार्थना है
Saturday 27 December 2008
बताओ तो जानें जवाब
क्या चलाना चाहोगे पेड या बाईक
नमस्कार दोस्तों
माफ करना किन्हीं कारणों से परिणाम देने में देरी हो गई।
तो कल की पहेली का सही जवाब है टिवंकल खन्ना।
तो अब बारी आती है विजेताओं की
सबसे पहले सही जवाब लेकर आए विनय जी
फिर दूसरे नंबर पर आए प्रकाश गोविन्द जी
तीसरे नंबर पर रहे Smart Indian - स्मार्ट इंडियन जी
चौथे नंबर पर बहुत कोशिश करने के बाद सही जवाब के साथ आए हमारे पहेली के विद्वान राज भाटिय़ा जी
पांचवे नंबर पर आए हमारे और सभी के चहेते ताऊ रामपुरिया और पांचवे नंबर के विजेता बन ही गए आखिर
और सबसे अंत में सही जवाब लेकर आईं kmuskan जी और हमारी पहेली की छटी विजेता बनीं।
अब बारी आती है जिन्होंने साहस का परिचय दिया और हमारी पहेली में भाग लिया
- पहले नंबर पर आए
- मुसाफिर जाट
- फिर दूसरे नंबरपर आए
तीसरे नंबर पर आने वाले हैं
अल्पना वर्मा
चौथे नंबर पर आए
राज भाटिय़ा जी कई चक्कर लगाने पडे उनको सही उत्तर टिपने की तलाश में
पांचवे नंबर पर आए
"अर्श" अरे नहीं भाई आप तो पुराने ख्यालों में डूब गए
छटे नंबर पर आए
रंजन अरे नहीं भाई अक्षय के बारे में बोलते तो अच्छा भी लगता
सातवें नंबर पर आए
ताऊ रामपुरिया रे ताऊ के बात होगी सै के ताई के गैल्यां कोई लडाई तां नी होगी जो इतने चक्कर लाने पडे
आठवें नंबर पर आए
seema gupta जी अरे जनाब तनिक हमारे जमाने में भी तो आकर देख लो ड्रीम गर्ल के जमाने में मत जाओ ना
आज की पहेली के साथ ही सभी को शुक्रिया और सलाम यह मेरी आखिरी पहेली थी
माफ करना किसी का नाम भूल से रह गया हो तो
Thursday 25 December 2008
बताओ तो जानें
Saturday 20 December 2008
अल्पना जी ने बनाई जीत की हैट्रिक
सबसे पहले तो आप सभी को बधाईयां।
सबसे पहले तो मैं इस जानवर का नाम बता दूं कि ये है क्या ये है पहाडी बकरी जिसे अंग्रेजी में कहते हैं mountain goat और इसका नाम लेकर सबसे पहले और सही नाम आया हमारे पास अल्पना वर्मा। यहां पर भी देखें
आज की पहेली में तो कसूत्ता काम हो गया। हुआ यूं कि अज्ञानी मूर्ख मैं ठहरा। कुछ आता जाता है नहीं चला पहेलीपूछने। अब वो तो भला हो अल्पना जी का जिन्होंने मुझे सीख दे दी और मैं बाल बाल बच गया। क्यूंकि अल्पना जीने जवाब बिल्कुल ठीक वाला पोस्ट कर दिया और वो चस्पा हो गया फिर उन्होंने मेल की और बताया कि भाटियाजी किस तरह से करते हैं तो मैंने फिर वो फार्मूला अपनाया और अल्पना जी का कमेंट मैंने खुद ही डिलीट कर दियाजिसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूं। और उनको बोल दिया कि आप प्लीज दोबारा से इसका जवाब दे दो। वैसे मुझे ज्ञानदेने वाले भाटिया जी का मैं बहुत बहुत आभारी हूं क्योंकि वो मुझे समय समय पर सुझाव देते रहते हैं
चलो खैर ये तो रही बात मेरे मूर्खता की। अब आते हैं असली मुददे की ओर।
तो जी आज काफी लोगों ने मशक्कत की। और कई तो आधे सही पहुंच गए लेकिन बीच में हथियार डाल गए।सबसे पहले पहुंचे विनय जी उन्होंने तो भेड के तमाम रिश्तों का नाम ले लिया लेकिन जो असली नाम लेना था वो शायदवो जानबूझकर नहीं बोल पाए या फिर कहें तो उन्हें नाम याद ही नहीं आया। फिर सीमा जी आईं और जैसे कि वोभाग कर गए थे याक के पास और उससे बोला कि भाई मुझे बस ये बता दे कि ये तेरा फोटू है और उसने भी मजाककर दिया और हां बोल दिया। फिर अल्पना जी आई और शायद पता होते हुए भी अनभिज्ञ बन गई औरबोल गई इस तरह से जैसे कि एक एड आती थी कि आंखें थीं कमजोर अर मुर्गे को कह गया मोर । फिरमुसाफिर जाट बेबाक बोले याक याक और याक वो भी कटिंग शटिंग और शेव कराकर आया है और ये सब इतनेदावे के साथ उन्होंने बोला कि जैसे उन्हीं ने इसकी हजामत की है।
परमजीत जी ने भेड बोल दिया। शायद उन्हें भेड अच्छी ही लगती हैं लेकिन सच्चाई है पर अधूरी।
आज तो म्हारी ताई ने भी शायद ताऊ जी को कुछ कोन्नी बताया और याक याक याक कहकर राम राम की ली।मीत जी ने भी बडे रौब के साथ बोला यंग याक। भाई मीत जी अगर ये यंग याक है तो कोई बूढा याक हमनेभी दिखा दियो। एक महाशय जी है शरद जी उन्होंने तो आव देखा ना ताव और बोल दिया कि यो तो हमारे मोहनभईया हैं अरे शरद भाई क्यों बेचारे की जात को लजाते हो मेरा नाम लेकर। लवली जी भी बहुमत में आईं औरबोली याक।
फिर आती है एक सही जवाब की और वो था अल्पना वर्मा जी का जिन्होंने अपने बारे में विस्तार से बताया भी है।
लेकिन उनका ये कमेंट मैंने ही डिलीट किया था कि देखते हैंऔर कितने सही जवाब आते हैं।
उनके बाद आए सभी के आदरणीय एवं किसी फिल्म केकौन से मामू थे समीर जी और उन्होंने भी एक के बाद एकतीन बार याक याक याक ताबडतोड जवाब का करारा प्रहारकिया मगर खाली। भूपेन्द्र जी योगेन्द्र जी ने काफी अच्छा कमेंट भेजा। फिर आती है म्हारे ताऊ जी की शायदताई ने ओडे जाके इसतै पूछ ही ल्या के के नाम सै थारो और वा बाकरी भी जमाय अंग्रेजी बोल्ये थी तो ताई के आधाअधूरा पल्ले पडा और उसने ताऊ ती बताके भेज दिया। अब ताई हिमालय से ओडे आन जान में थोडा टैम लग गयाअर ताऊ थोडे देरी से पहुंचे क्योंकि अल्पना जी पहल्यां ही बाजी मार चुकी थीं। और इस तरह से अल्पना जी नेअपनी लगातार जीत की हैट्रिक बनाकर धोनी की क्रिकेट टीम को एक पायदान नीचे ढकेल कर पहले स्थान कीरैटिंग में पहुंच चुकी हैं।
बाद में सीमा जी ने भी अपना जीके का बता ही दिया कि वो भी चाहती हैं कि इस बार अल्पना जी की हैट्रिक बनजाए इसीलिए काफी बाद में जवाब भेजा हैं उन्होंने और बिल्कुल सटीक मगर देर आए दुरुस्त आए
लगे हाथ अल्पना जी को जीत की बहुत बहुत बधाई और उन सभी को जिन्होंने इस पहेली में हिस्सा लिया। अबईनाम की राशि की बात हो जाए तो सबसे पहले ताऊ दस दस गोलगप्पे बिना पानी के खिलाएंगे सभी विजेताओं कोऔर मेरी ओर से एक करोड रूपये की राशि मैं मेल कर दूंगा । बस अल्पना जी को करना है के टीडीएस केरूपए मेरे अकाउंट में डालने हैं उनको मैं अपना अकाउंट नंबर मेल कर दूंगा तो पहले आप टीडीएस कीराशि मेरे बैंक अकाउंट में डाल दो याद रहे सिर्फ उपरोक्त राशि ही डालनी है ज्यादा नहीं
2445649
Friday 19 December 2008
बताओ तो जानें
नमस्कार दोस्तों और सभी का क्या हाल है ।
जैसा कि अल्पना जी ने मेरा मार्गदर्शन कर मुझे कुछ गुर दिया उसके हिसाब से मैं कोशिश कर रहा हूं। और धीरे धीरे सीख ही जाऊंगा तो आज मैं आपके लिए लाया हूं बेहद ही आसान सी पहेली जिसका जवाब आपको देना है। और जैसा कि भाटिया जी ने भी अपने ब्लाग पर मेरे करोडपति बनने की जानकारी भी आप सब को दे दी है। तो उन्ही करोड रूपयों में से मैं कुछ बल्कि यूं कहें कि एक करोड रूपये मैं विजेता को मेल कर दूंगा। बस उनको करोड रूपये की जो टीडीएस राशि करीब 20-25 लाख रूपये मेरे अकाउंट में जमा करानी होगी ।
तो अब आपके लिए आज का प्रश्न है कि ऊपर दिया गया यह कौन सा जानवर है या कौन सा इन्सान है या कौन सा पक्षी है या कौन सी धातू है
बस आपको बताना है इसका नाम।
तो जल्दी से सुलझा दो इस पहेली को और हां एक प्राईज और भी कि ताऊ ने भी मुझे बोला है और वो भी कुछ प्राईज स्पोंसर कर रहे हैं और उनकी तरफ से ईनाम होगा सभी पहले तीन विजेताओं को बिना पानी के 5-5 गोलगप्पे तो जल्दी किजीए कहीं ऐसा ना हो कि यह बाजी और कोई मार जाए और आपको फिर अपनी जेब से ही गोलगप्पे खाने पडें वो भी पानी के साथ
तो आज का सस्पेंश हमारी पहेली में है कि
क्या अल्पना जी आज की जीत सुनिश्चित कर अपनी हैट्रिक बना पाती हैं
Thursday 18 December 2008
बताओ तो जानें
अब बात आती है कल की पहेली के विजेताओं की तो आज की पहेली में सबसे पहले चार ऐसे जवाब आए जिन्होंने पहचान बताने से इन्कार कर दिया और यहां तक कह गए कि लगती तो कोई लडकी । इसी के साथ मौदगिल साहब जी की भी तन्द्रा टूटी और कई युगों बाद आज उनको ब्लाग जगत में भ्रमण करते हुए पाया गया। बहुत ही खुशी हुई। काफी दिनों बाद जो आए। खैर अब जब आ ही गए हैं तो कुछ लिखेंगे भी जल्दी ही । तो आज का सही जवाब लेकर आए सदाबहार विजेता अल्पना वर्मा जी जरा उनके लिए जोरदार तालियों से उनका स्वागत करें। और इसके बाद में सीमा जी आई और आब देखा ना ताव लग गईं अल्पना जी के सुर में गाने। रश्मि जी आए लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी ईमानदारी और सच्चाई का परिचय देते हुए बिना किसी के नकल किए साफ साफ बता दिया कि लगती तो कोई लडकी है। लेकिन जी नहीं रश्मि जी यह लडकी नहीं बल्कि यह लडका है और लडका भी इमरान खान आमिर खान का भांजा। जो अभी हालिया फिल्म जाने तू में लांच किया गया है। तो इसी के साथ आज की विजेता फिर अल्पना वर्मा जी।
इसकी जानकारी लेने के लिए यहां पर क्लिक कीजिए
अब देखना होगा कि
क्या अल्पना जी अपनी जीत की हैट्रिक बना पाती हैं ।
क्या कल की बाजी अल्पना जी के अलावा और कोई मारता है
यह देखने के लिए बस आते रहिए मोहन का मन पर और देखें कल ऊंट किस करवट बैठता है तो तब तक के लिए शुभान अल्लाह गुड बाय नमस्ते टाटा सलाम
Wednesday 17 December 2008
बताओ तो जानें
माफ करना दोस्तों आने में आज काफी देर हो गई। दरअसल हुआ यूं कि आज मुझे जो अपना प्रश्न बनाना था वही अपने भाटिया जी ने अपना प्रश्न बना लिया तो मेरे सामने थोडी मुश्किल आ गई कि अब क्या करूं। तो आनन फानन में आपके सामने यह चित्र लेकर आया हूं शायद आप सभी पहचान भी जाएंगे एक नजर में ही तो बताओ ये चित्र में कौन है
लेकिन अब आप कोई भी अपनी टिपण्णी के साथ लिंक ना दे, क्योकि आप दुवारा लिंक देने पर सब राज खुल जाता है ओर पहेली का मजा किर किरा हो जाता है , हां पहेली खत्म होने से दो तीन घण्टे पहले आप लिंक दे सकते है, आप ने लिंक देना है तो, मुझे मेल कर दें
Tuesday 16 December 2008
आज के विजेता रहे
मेरे सामने एक समस्या आई कि इसका संचालन कैसे करना होगा। क्या है ना कि पढा लिखा ज्यादा नहीं हूं। अब हमने पहेली दे दी। तो सबसे पहले आए माननीय भाटिया जी अपने उसी अंदाज में और आते ही बता दिया कि जवाब उन्हें पता है लेकिन अभी बताएंगे नहीं और मैं उनकी बात से सौ प्रतिशत सहमत हुआ और मन में बडी श्रद़धा भाव आए। धीरे धीरे बहुत ही जवाब आए लेकिन कईयों ने अपनी मंशा जाहिर नहीं होने दी। श्रुति जी ने तो यहां तक कह डाला कि कहीं ये मेरी जवानी का फोटो तो नहीं। फिर अल्पना जी आईं और बाजी मार गई। फिर क्या था फिर परमादरणीय मिश्रा जी भी आए और अपनी उंगली को गंगा जी में डाल कर बोले लो भाई हो गया गंगा स्नान और चल दिए अल्पना जी के जवाब की ओर फिर आए हमारे सभी के प्यारे आदरणीय ताई जी के ताऊ जी जैसे ताई ने बोला जल्दी से जा और अल्पना जी का जवाब टीप कर बोल दे और उन्होंने ताई के हुकुम की तामील करते हुए अल्पना जी के हक में एक वोट दे दिया और थोडा सा देरी से आईं लेकिन सही जवाब के साथ आईं रंजू जी। इसका सही जवाब यही है जी हां अमीषा पटेल और इसकी जानकारी आपको यहां से मिल सकती है
एक थोडी सी यहां पर मैं विनती करूंगा कि मुझे ज्ञान थोडा कम है इसलिए पता नहीं है कैसे पहेली का उत्तर बताया जाता है इसलिए मैं गुरू श्री भाटिया जी से भी अनुरोध करूंगा कि वो ही मेरे यहां पर विनर रहे अल्पना वर्मा जी को विजेता घोषित करें और कल फिर से एक नई पहेली लेकर आऊंगा और कल की पहेली हो सकता है थोडी सी मुश्किल हो। तो कल तक के लिए आप सभी से आज्ञा चाहूंगा
आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया और सभी विजेताओं को बधाई
बताओ जवाब पाओ ईनाम
कई दिन हो गए अपनी प्रस्तुति नहीं दे पाया। दरअसल पता नहीं क्या हो गया कुछ लिखा ही नहीं जा रहा तो सोचा किसी न किसी तरह से तो अपनी प्रस्तुति दे ही देनी चाहिए । और बस आ गया मैं भी भाटिया जी की तरह आपकी खिदमत में एक आसान सा सवाल लेकर। बस आप झट से देखें इस तस्वीर को बता दो इनका नाम। हिंट ये होगा कि ये बालीवुड से संबंधित है। सही जवाब देने वालों को आकर्षक ईनाम तो जल्दी से बताओ जवाब पाओ ईनाम कांटेस्ट में भाग लिजीए
हम भी देखें कि भाटिया जी की दुकानदारी तो अच्छी चल रही है हमारी कितनी चलती है
Tuesday 9 December 2008
पापा आ जाओ
कृत श्री एस एस हसन
एवं
फोटो साभार गूगल
Wednesday 3 December 2008
कुछ नहीं हो सकता मेरा
क्यूं सब कहते हैं ऐसा
शायद ठीक ही तो कहते हैं
कुछ नहीं हो सकता मेरा
अगर होता मै आम
तो डल जाता मेरा आचार
अगर होता नींबू
तो मिर्ची के साथ मिलकर
कम से कम
शनिवार के दिन
घर और दुकानों पर
दिया जाता मैं टांग
क्यूं कुछ नहीं हो सकता मेरा
क्यूं सब कहते हैं ऐसा
शायद ठीक ही तो कहते हैं
कुछ नहीं हो सकता मेरा
क्या वाकई कुछ नहीं हो सकता मेरा
बताए कोई असलियत दिखाए कोई
है कोई ऐसा मेरे जैसा
जो मेरा हमसफर बने
कुछ नहीं हो सकने की सूरत में
मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाए
और
मेरे साथ किसी दुकान और घर
के मुहाने पर अपने आप को टंगाए
क्या वाकई कुछ नहीं हो सकता मेरा
क्या कुछ नहीं हो सकता मेरा
क्यूं सब कहते हैं ऐसा
शायद ठीक ही तो कहते हैं
कुछ नहीं हो सकता मेरा
देखो और बताओ
Saturday 29 November 2008
मैग्जीन का ब्लाग
Tuesday 25 November 2008
फूल की दास्तां
मनभावन पर चंचल
ख्वाब लिए नैनों में अपने
होगा सवेरा प्रभु के चरणों मे...
मोक्ष उसे मिल जाएगा
जीवन सफल हो जाएगा उसका
Saturday 15 November 2008
टूट गया याराना
आया है याद वो गांव का खंडहर पुराना
जहां होती थी हम दोनों की रोज मुलाकातें
कुछ मीठी सी नोंक झोंक और कुछ प्यारी सी बातें
वो खंडहर, हमारी अनमोल चाहत का था महल
ना जाने किसकी लगी हमारे प्यार को नजर
एक पल में जुदा कर गया वक्त मुझसे मेरे यार को
कुछ इस कदर उठा तूफान जमाने की बंदिशों का
कि फना हो गई हमारी मोहब्बत की कहानी
रुका तूफान तो निगाहों ने ढूंढा मेरे प्यार को
देखा कि वो पुराना खंडहर ढह चुका था
और उसके साथ ही दफन हो गया
वो हमारे प्यार का महल
Wednesday 12 November 2008
मेरा साया
हर समय हर पल
रहता है साथ
मेरा साया
सुख में दुख में
आंधी तूफान में
मेरे साथ है
मेरा साया
कभी थकता नहीं कभी रुकता नहीं
चलता ही जाता है
साथ मेरे
मेरा साया
सूखी नदी में पैर फिसल गया
मुझे संभाला खुद गिर गया
मेरा साया
पर्वत ने रोका रास्ता मेरा
न रुकने दिया चलाता रहा मुझे
मेरा साया
दोस्तों ने छोड दिया साथ
न होने दिया कभी उदास
हंसता रहा साथ मेरे
मेरा साया
Tuesday 11 November 2008
मैं क्या हूं...
बहुत दिनों से ब्लाग से मेरा संपर्क नहीं हो रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे शरीर के किसी अंग ने काम करना ही बंद कर दिया। बहुत तकलीफ होती थी। जब सोचता था कि इतने दिनों तक की जुदाई आखिर कैसे सही है मैंने। बताने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। आज कुछ लिखने का काफी मन बन गया और सोचा चाहे आज कुछ भी हो जाए एक पोस्ट तो लिखूंगा ही लेकिन जैसे ही मेल चैक की तो उसमें बहुत ही महान ब्लागरों की मेल देखी जिसमें लिखा था कि आगे भी बढो। पढकर एकबारगी तो सोचने पर मजबूर हो गया कि ब्लाग के पहले मैं क्या था और आज महान महान विद्वान मुझे आशीर्वाद दे रहे हैं और मुझे आगे बढने के लिए कुछ लिखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। मेरी खुशी का ठिकाना ही ना रहा क्योंकि अब मैं अकेला नहीं हूं। आज ना लिख पाने के लिए क्षमा चाहता हूं लेकिन कल से अवश्य इस ब्लाग को नियमित कर लूंगा। बस आप सभी का यही आशीर्वाद की कामना करता हूं। बस ये चार लाईने जैसे ही जहन में आई तो इन्हीं चार लाईनों को सांझा कर रहा हूं ...
सोचता हूं आज मैं
क्या था कुछ दिनों पहले मैं
शायद किसी कवि की रचना
के किसी शब्द की मात्रा का
सौंवा भाग भी नहीं हूं मैं
शायद किसी रेगिस्तान के
रेत के एक कण के माणिद भी नहीं हूं मैं
कोई बताए मुझे
मैं क्या हूं मैं क्या हूं मैं क्या हूं
Friday 24 October 2008
हार्दिक शुभकामनाएं
बुराई पर सच्चाई की
अंधेरे पर उजाले की
और धनलक्ष्मी
गणपति
और
विश्वकर्मा जी की
असीम कृपा
आप हम और सभी पर बरसे इसी के साथ आप सभी को
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
Sunday 19 October 2008
हो गया आशिक का सर्वर शट डाऊन....
तो दिल में हुआ एक साऊंड
और आज मिले तो कहते हैं
यूअर फाईल नोट फाऊंड
जो मुददत से होता आया है
वो रिपीट कर दूंगा
तू नहीं मिली तो अपनी जिंदगी
कंट्रोल आल्ट डिलीट कर दूंगा
शायद मेरे प्यार को
टेस्ट करना भूल गए
दिल से ऐसा कट किया
कि पेस्ट करना भूल गए
लाखों होंगे निगाह में
कभी मुझे भी पिक करो
मेरे प्यार के आइकन पे
कभी तो डबल क्लिक करो
रोज सुबह हम करते हैं
प्यार से उन्हें गुड मार्निंग
वो ऐसे घूर के देखते हैं
जैसे जीरो एरर और पांच वार्निंग्स
ऐसा भी नहीं है कि
आई डोंट लाईक यूअर फेस
पर दिल के स्टोरेज में
नो मोर डिस्क स्पेस
घर से जब तुम निकले
पहने के रेशमी गाऊन
जाने कितने दिलों का
हो गया सर्वर शट-डाऊन
Tuesday 30 September 2008
नंगे पैर
नंगे पैर
निर्वस्त्र तन
बेकाबू मन
पर
फिर भी
विचर रहा हूं
इस धरा पर
नंगे पैर...
कहने को तो जिंदगी है
लेकिन
जीने के नाम पर
कुछ भी बाकी नहीं है
कर दिया किस्मत ने
दाने दाने को मोहताज
फिर भी
विचर रहा हूं
इस धरा पर
नंगे पैर...
अब देखना है जिंदगी में
क्या क्या खेल हैं मुकद्दर के
कब मिलेगी मुक्ति इस नश्वर शरीर से
कोई परवाह नहीं
जो होगा नसीब में इस मुकद्दर के
फिर भी
विचर रहा हूं
इस धरा पर
नंगे पैर...
Saturday 13 September 2008
ओ मेरे वतन के हत्यारों ...
क्या चाहते हो तुम बतलादो...
क्या चाहते हो तुम बतलादो...
Friday 12 September 2008
उदास याद
तुम्हारी आने से याद
हो जाता है दिल उदास
अब नहीं करता तुम्हें याद
हो जाता है दिल उदास
तुम्हें क्यों करूं मैं याद
क्या तुमने दिया मुझे
दुख, दर्द और तकलीफ
क्या काफी नहीं है जिंदगी के लिए
अब नहीं करता तुम्हें याद
हो जाता है दिल उदास
पहले नहीं करता था याद
तो हो जाता था दिल उदास
अब करता हूं तुम्हें याद
तो हो जाता हूं और ज्यादा उदास
अब नहीं करता तुम्हें याद
हो जाता है दिल उदास
चलो आज से तुम्हें
एक नाम दे दूं
उदास याद
इसमें याद भी है और
याद आने के बाद
मिलने वाली उदासी भी
अब नहीं करता तुम्हें याद
हो जाता है दिल उदास
Sunday 7 September 2008
हमारी तुम्हारी मुलाकात
बन गई एक मिसाल
जब मिले थे हम दोनों
पता न था कि
इतना लंबा सफर
तय कर पाएंगे
हमारी तुम्हारी मुलाकात
बन गई एक मिसाल
लद गए दिन मस्ती के
छा गया घोर अंधेरा
एक ठोकर लगी
छूट गया साथ तेरा
टूट गया हसीं सपना
हमारी तुम्हारी मुलाकात
बन गई एक मिसाल
अब मेरा अपना ही घर
वीराना सा हो गया
कोई नहीं है साथ में मेरे
ये जहां भी
पराया सा हो गया
हमारी तुम्हारी मुलाकात
बन गई एक मिसाल
अब न तुम हो पास
है केवल तन्हाई ही साथ
और वो पल जो
मिले थे मुझे
जब तुम मिले
और कुछ नहीं है पास
हमारी तुम्हारी मुलाकात
बन गई एक मिसाल
Thursday 7 August 2008
डिप्लोमा
मैं दिल्ली पहुंचा
स्टेशन पर कुली से बाहर जाने का रास्ता पूछा
कुली ने कहा, बाहर जाकर पूछ लो
मैंने खुद ही
रास्ता ढूंढ लिया
बाहर जाकर टैक्सी वाले से पूछा
भाई साहब, लाल किले का क्या लोगे !
जवाब मिला बेचना नहीं है
टैक्सी छोड मैंने बस पकड ली
कन्डैक्टर से पूछा जी क्या मैं सिगरेट पी सकता हूं
कन्डैक्टर गुर्राया और बोला, हरगिज नहीं
तुम्हें पता नहीं, यहां सिगरेट पीना मना है
मैंने कहा ! वो जनाब तो पी रहे हैं
कन्डैक्टर फिर से गुर्राया! और बोला
उसने मुझ से पूछा नहीं है
लाल किले पहुंचा, होटल गया
मैनेजर से कहा, रूम चाहिए, सातवीं मंजिल पर
मैनेजर ने कहा,
रहने के लिए या कूदने के लिए!
रूम पहुंचा, वेटर से बोला
एक पानी का गिलास मिलेगा
उसने जवाब दिया,
नहीं साहब ! यहां तो सारे गिलास कांच के हैं
होटल से निकला दोस्त के घर जाने के लिए
रास्ते में एक साहब से पूछा
जनाब ये सडक कहां जाती है
जनाब हंस कर बोले,
पिछले बीस साल से देख रहा हूं, यहीं पडी है कहीं जाती ही नहीं है
दोस्त के घर पहुंचा देखकर चौंक पडा
उसने पूछा कैसे आना हुआ
अब तक मुझे भी आदत पड गई थी
सीधा जवाब नहीं देने की
मैंने जवाब दिया ट्रेन से आया हूं
आवाभगत करने के लिए मेरी
दोस्त ने अपनी बीबी से कहा
अरे सुनती हो मेरा दोस्त पहली बार आया है
उसे कुछ ताजा ताजा खिलाओ
सुनते ही भाभी जी ने घर की सारी खिडकियां और दरवाजे दिए खोल
और कहा खा लीजिए ताजी ताजी हवा
दोस्त ने फिर से बडे प्यार से अपनी बीबी से कहा
अरे सुनती हो
जरा इन्हें वो चालीस साल पुराना आचार दिखाओ
भाभी जी एक बाल्टी में रखा आचार उठा लाई
मैंने भी अपनापन दिखाते हुए कहा,
भाभी जी आचार सिर्फ दिखाएंगी या चखाएंगी भी
भाभी जी ने तपाक से जवाब दिया
यूं ही अगर सब को चखाती, तो चालीस साल से कैसे इसे बचाती
थोडी देर बाद देखा भाभी जी कुछ गा रही हैं
डिप्लोमा सो जा डिप्लोमा सो जा
सुनकर हुआ मैं हैरान और दोस्त से पूछा
यार ये डिप्लोमा क्या है
दोस्त ने जवाब दिया, पोते का नाम है
बेटा बम्बई गया था, डिप्लोमा लेने के लिए
और साथ में इसे ले आया
इसलिए हमने इसका नाम डिप्लोमा रख दिया
फिर मैंने कहा आजकल आपका बेटा क्या कर रहा है
दोस्त बोला बम्बई गया है डिप्लोमा लेने के लिए
विनय कौशिक जी के ब्लाग से साभार
http://yaracoolcool.blogspot.कॉम
Thursday 31 July 2008
चेहरे का नूर
देखकर तेरे चेहरे का नूर
Monday 28 July 2008
तुम लगते हो कौन मेरे
मैं सोचता हूं तुमको बता दूं आज
तुम लगते हो कौन मेरे
तू जान है मेरी तेरी यादों से ही
Thursday 24 July 2008
कभी प्यार से आबाद मैं भी था
इस प्यार के जहां में नायाब मैं भी था
क्या हुआ आज हम हैं बर्बाद अगर
प्यार के जहां में इरशाद कभी मैं भी था
वफा से उनकी जीना मैने सीखा था
जफा से उनकी रोना मैंने सीखा था
वादा या रब साथ जीने मरने का था
वफा ए यार सितम सब चलता था
मुहब्बत का मजाक भी कभी बनता था
हाथों से हाथ साहिल से नाता जुडता था
राहों में भटकते गमों से भी पाला पडता था
दिल ए नादान को मिले जख्मों को सिलना था
प्यार में उनके हमें धोखा ही खाना था
वफा हमारी में बेवफा उनको तो हो जाना था
Tuesday 22 July 2008
हे पार्थ
Saturday 12 July 2008
कोई
मेरी चाहत है वो ये मान जाए कोई
मेरी आंखों में बसा है बेइंतहा प्यार
ऐ काश उस प्यार को पहचान पाए कोई
दिल ये चाहे मुझे छेडे और सताए कोई
मैं ना मानू जो सताने से तो रूठ जाए कोई
हर आहट पे मेरे आने का गुमान करके
मेरे साये से यूं दौड कर लिपट जाए कोई
मेरी सांसों में समाने वाली खुशबू की तरह
मेरी बाहों में यूं तडप कर बिखर जाए कोई
मेरे जीने का सहारा भी कभी टूट जाएगा
मरने के बाद ही सही मेरे नाम का सिंदूर सजाए कोई
Friday 11 July 2008
एक बच्चा
एक बच्चा, जो सेठ नहीं है
जिसके पैरों में डील के निशान
तन पर मैले-कुचैले फटे चीथडे
चेहरे पर चमक और आशा की किरण
हाथ में कुछ रूपये दबाए हुए
चला आया उस खाने की दुकान पर
जहां बडे बडे सेठ लोग
खा रहे हैं लजीज खाना
और देखकर बच्चे की ओर
मुंह बिचकाकर बोले
आ गया भिखारी
लेकिन अभी तो
बच्चे ने कुछ मांगा भी नहीं
वो तो पहले ही
कहीं से मांगकर लाया
कुछ रूपये
और चला आया
खाना लेने
उस दुकान पर
जहां बडे बडे सेठ लोग
खा रहे हैं लजीज खाना
नहीं आना चाहिए था उसे यहां
क्योंकि यहां मना है
उनका आना
जिनके पास कपडे नहीं हैं
पैरों में चप्पल नहीं हैं
हाथ में पैसे हैं तो क्या हुआ
वो सेठ भी तो नहीं हैं ना
Wednesday 9 July 2008
क्या करते
दिल के जज्बात दिल में दबाते नहीं तो क्या करते।।
भरी महफिल में जब उन्होंने न पहचाना हमको।
नजर हम अपनी झुकाते नहीं तो क्या करते।।
उनके दुपट्टे में लगी आग न हमसे देखी जाती।
हाथ हम अपना जलाते नहीं तो क्या करते।।
दोस्तों ने जब सरे राह छोड दिया मुझको।
तब हम गैरों को बुलाते नहीं तो क्या करते।।
किस मुददत से वो देख रहा था राह मेरी।
वादा हम अपना निभाते नहीं तो क्या करते।।
चोट खाकर भी मुस्कुराते नहीं तो क्या करते।।
दिल के जज्बात दिल में दबाते नहीं तो क्या करते।
विजय जैन
Saturday 28 June 2008
तेरी याद
तुम्हें भुलाने की
कोशिश कर रहा हूं
कुछ बच्चों को भीगता देख
एक आह निकली कि काश...
Friday 27 June 2008
खून पसीना सियाही
मिस्त्री चिनाई कर रहे
मेरा सियाही की कमाई से
मकान बन रहा धीरे धीरे
साथ साथ मैं भी बन रहा
बनता मकान बंदे को
नया जहान देता
बनता मकान नया ज्ञान देता
सियाही की कमाई से बनते मकान ने मुझे बताया
कि किराए के मकान की दीवार में
मेरे कील ठोंकने पर
मकान मालिक की छाती क्यों फटती थी
उसका मकान पसीने की कमाई का
मेरे बच्चे को मामूली चोट लगने पर
पत्नी की आंखों में
छमछम आंसू बहते
मैं खीझता
मैं खीझता तो मुझे समझाता
यह सियाही की कमाई से बनता मकान
कि भले मनुष्य खीझ मत
बच्चे मांओं के खून की कमाई से बने हैं
मेरा मकान बनता धीरे धीरे
बनता मकान बहुत ज्ञान देता
-जसवंत जफर
Tuesday 24 June 2008
वह आदमी
वह आदमी
जो कभी भी
किसी को
दुख नहीं देता था
आज चला गया अकेला
चुप बिल्कुल चुप
इस जग से
तोड कर तमाम
रिश्तों नातों को
छोड गया तन्हा
अपने परायों को
आज दे गया इतना
दुख भला कैसे
ये तो वही आदमी था
जो कभी भी
किसी को
दुख नहीं देता था
कफन में लिपटा
वह आदमी
Sunday 22 June 2008
अंखियां नू चैन ना आवे ...
नुसरत जी की आवाज में यहां से सुनें
हो हो हो अंखियां नू चैन ना आवै, सजना घर आजा
हरदम तेरी याद सतावे, हुण फेरा पा जा
दर्दां दी मारी, रो-रो के हारी
तांघां तेरियां ने मैनु मारेया, प्यारेया
अंखियां नू चैन ना...
हो हो हो सजना मेरे दर्द वंडा
मेरी उजडी जोग बंधा
अपना बन के घर नू आ
हुण तकदी नू सीने ला
छड के तू तुर गइयां दूर वे
केडी गल्ल होयां मजबूर वे
तकदी है रांह तेरे
मुक जांदे सां मेरे
आजा मेरे दिल दे सहारेया
अंखियां नू चैन ना आवे ...
तेरी याद सतोंदी ए
राती नींद ना ओंदी ए
दूरी बहुत रवोंदी ए
कल्ली जिंद कुरलोंदी ए
किसे दा वे इंज नइयों करीदा
सजना वे रब कोलों डरीदां
करां तेनु याद वे
सुन फरियाद वे
जियाटेया वे बे एतबारियां
अंखियां नू चैन ना आवे ...
हो आ
सुख तेरे तो वारे ने
रोंदे नैन वेचारे ने
तेरे ज्यूठे लारे ने
करदे गल्लां सारे ने
होवे ना जे अखियां तो लोए वे
केडा बै के दुख सुख फोल वे
कदरां ना पायां तू
तोड ना निभाइयां तू
तेरे पीछे सब कुछ हारेयां
अंखियां नू चैन ना ...
जवानी का हंसी ...
सिसककर टूटी खटिया पर पड़ा तू भुनभुनाएगा
पुराना ठरकी है बूढ़ा न हरगिज बाज आएगा
दिखी लड़की तो नकली दांत से सीटी बजाएगा
निकल जाए हमारा दम बला से चार बूंदों में
मग़र हमको हकीम अपनी दवा पूरी पिलाएगा
पहन पाया न बरसों से बिचारा इक नई निक्कर
बनेगा जब भी दूल्हा वो नई अचकन सिलाएगा
है अपना दूधिया जालिम मसीहा है मिलावट का
भले ही कोसते रहिए हमें पानी पिलाएगा
जड़ें काटेगा पीछे से जो हँस के सामने आया
खुदा ने दी न चमचे को वो दुम फिर भी हिलाएगा
मिली हैं हूर जन्नत में मगर मिलती नहीं लैला
खुदेगी कब्र जब तेरी तो चांद अपनी खुजाएगा
सनमखाने में दीवाने सजा ले अपने वीराने
खिला दे टॉफी बुलबुल को मज़ा जन्नत का आएगा
पुराना-सा फटा, मैला लिए हाथों में इक थैला
बढ़ा के अपनी दाढ़ी मंचों पर गजल तू गुनगुनाएगा
मिले मेले में दुनिया के थके, हारे, बुझे चेहरे
करामाती है बस नीरव जो रोतों को हँसाएगा।
-विजय जैन
Saturday 21 June 2008
अब ना मैं उदास होता ...
आईने के सामने जाकर
खडा हो जाता
और
ढूंढता उस उदासी को
जो मुझे उदास करती
देखता आईने की आंखों से
और पाता कि
उदासी तो मेरी आंखों
में ही थी और
मैं फिर से
उदास हो जाता
क्योंकि मैं तो
उदास था ही
मेरे साथ मेरे आईने
की आंखें भी
मेरी आंखों की
उदासी देख
और ज्यादा उदास हो गई
अब ना मैं उदास होता हूं
और ना
आईने के सामने जाकर
खडा होता हूं
और अपने आईने को भी
उदास नहीं करता हूं
बेदर्द
मैंने निचोड़कर दर्द
मन को
मानो सूखने के ख्याल से
रस्सी पर डाल दिया है
और मन
सूख रहा है
बचा-खुचा दर्द
जब उड़ जायेगा
तब फिर
पहन लूँगा मैं उसे
माँग जो रहा है मेरा
बेवकूफ तन
बिना दर्द का मन !
-भवानीप्रसाद मिश्र
Wednesday 18 June 2008
कदम मिलाकर चलना होगा...
Tuesday 17 June 2008
चार लाईना
Saturday 14 June 2008
आता है याद जब वो जमाना ...
कागज की कश्ती तैराना
और फिर
कश्ती के डूबने पर
दोस्तों का ताली बजाना
डूब गई - डूब गई कहकर
वो चीखना चिल्लाना
करता है बचपन की यादों को ताजा
वो बारिश के पानी में
कागज की कश्ती तैराना
कश्ती में वो चींटी को बिठाना
फिर कश्ती को आगे बढाना
आता है याद जब वो जमाना
वो बारिश के पानी में
कागज की कश्ती तैराना
Thursday 12 June 2008
मेरा बेटा अभी छोटा ...
घुटमन चलता है
चलना सीखा नहीं है अभी
तमन्ना दौडने की है
दांत निकले नहीं पूरे
कि गन्ना चूसना चाहता है
मेरा बेटा अभी छोटा है
पैरों की पाजनियां छम छम करके
पकड दीवार का कोना
सोचता है
बहुत चल लिया
लूं थोडा सुस्ता
अगले ही पल
बिजली की मानिंद
उठ खडा हुआ
कहीं जाने की जल्दी है
एक नजर दौडाई मुस्करा कर
लगा ऐसा कि कह रहा हो
मैं भी चलने लगा हूं
चाहता हूं मैं भी दौडना
अभी घुटमन चलता है
मेरा बेटा अभी छोटा है