Sunday 22 June 2008

अंखियां नू चैन ना आवे ...

नुसरत फतेह अली खान सूफी गायकी के सरताज रहे हैं। पाकिस्‍तान में 13 अक्‍टूबर को जन्‍मे उस्‍ताद साहब ने कितनी ही कव्‍वली अपनी आवाज में देकर इस दुनिया में कव्‍वाली पसंद लोगों को अपनी आवाज का लोहा मानने को मजबूर कर दिया। यहां पर मैं भी एक कोशिश कर रहा हूं उनकी गाई हुई कव्‍वाली "अंखियां नू चैन ना आवे, सजना घर आजा" आशा करता हूं कि आपको पसंद आएगी...
नुसरत जी की आवाज में यहां से सुनें

हो हो हो अंखियां नू चैन ना आवै, सजना घर आजा
हरदम तेरी याद सतावे, हुण फेरा पा जा
दर्दां दी मारी, रो-रो के हारी
तांघां तेरियां ने मैनु मारेया, प्‍यारेया
अंखियां नू चैन ना...

हो हो हो सजना मेरे दर्द वंडा
मेरी उजडी जोग बंधा
अपना बन के घर नू आ
हुण तकदी नू सीने ला
छड के तू तुर गइयां दूर वे
केडी गल्‍ल होयां मजबूर वे
तकदी है रांह तेरे
मुक जांदे सां मेरे
आजा मेरे दिल दे सहारेया
अंखियां नू चैन ना आवे ...

तेरी याद सतोंदी ए
राती नींद ना ओंदी ए
दूरी बहुत रवोंदी ए
कल्‍ली जिंद कुरलोंदी ए
किसे दा वे इंज नइयों करीदा
सजना वे रब कोलों डरीदां
करां तेनु याद वे
सुन फरियाद वे
जियाटेया वे बे एतबारियां
अंखियां नू चैन ना आवे ...

हो आ
सुख तेरे तो वारे ने
रोंदे नैन वेचारे ने
तेरे ज्‍यूठे लारे ने
करदे गल्‍लां सारे ने
होवे ना जे अखियां तो लोए वे
केडा बै के दुख सुख फोल वे
कदरां ना पायां तू
तोड ना निभाइयां तू
तेरे पीछे सब कुछ हारेयां
अंखियां नू चैन ना ...

2 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा आईटम लाये हैं.

रंजू भाटिया said...

बेहद बहद सुंदर मुझे यह दिल से पसंद है और बहुत समय बाद यह सुना शुक्रिया