Sunday 8 June 2008

हाय महंगाई...


हमारे भारत देश में पिछले चार सालों में पैट्रोल और डीजल में करीब 15 व 12 रुपए की बढोतरी हुई है। शाबास हमारी भारत सरकार। आखिर अब साबित होने लगा है कि देश में महंगाई थमने का नाम नहीं लेगी। यह महंगाई तो सुरसा राक्षसी की तरह मुंह खोले खडी है। अब यहीं पर देख लीजिए हमारी एसएमएस सरकार ने पैट्रोल हाल ही में 5 रूपए बढाकर जनमानस को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। डीजल के दामों में भी बढोतरी कर दी है। बहुत अच्‍छा कदम रहा है ये भी। बेचारे किसान भाई जो अभी तक सोचते थे कि खेतों के लिए पानी इंजन से ही दे देंगे क्‍योंकि बिजली पहले तो आती ही नहीं बामुश्किल दिन में 3-4 घंटे ही आती है और वैसे भी महंगी ही होती है लेकिन अब सरकार ने किसानों का यह संशय भी खत्‍म कर दिया क्‍योंकि अब तो डीजल भी बिजली जैसा ही महंगा साबित होगा। हमारे देहात में एक कहावत है कि "खा ले या बूंक ले जाना तो पेट में ही है" तो चाहे अब खेतों के लिए पानी बिजली से दो या डीजल इंजन से दो महंगा तो दोनों ही हैं। चलो खैर कुछ भी सही शायद सरकार ने अपना बजट देखकर ही यह कदम उठाया है। ठीक है भाई अब कर भी क्‍या सकते हैं। हां एक काम तो अब कर ही सकते हैं या तो हम कोई बडे अफसर बन जाएं कि जो गाडी पेट्रोल से चलेगी उसका खर्चा कम्‍पनी या सरकार उठा ले तो चलती रहे वरना भाई फिर से ही हमें तो लग रहा है कि हमें तो अपनी रामप्‍यारी का ही दामन थामना पडेगा। अब भाई ऐसा तो कर नहीं सकते कि जाकर वेजेनुएला या सउदी अरब से कुछ पेट्रोल खरीद लाएं मानां कि वहां पेट्रोल 2 रुपए और 5 रूपए लीटर है लेकिन इतनी गाडी तो हमारे पास हैं नहीं कि पेट्रोल लाएं और उसका खर्चा भी वहन कर सकें। खैर अब देखते हैं कैसे चलती है अपनी गाडी अब 55 रूपए लीटर में या तो गाडी ही रोड पर नहीं तो हम ही आ जाएंगे रोड पर रही सही कसर निकाल दी गैस पर चलो जैसे तैसे पेट्रोल की टेंशन खत्‍म की चाय पीने के इंतजार में बैठे तो बैठे ही रह गए। भाई सिलेंडर खत्‍म हो गया। चलो सिलेंडर लेने जाकर पता चला कि भाईसाहब जी अमूमन तो सिलेंडर है नहीं फिर भी अगर मिलेगा तो अब 500 का मिलेगा। मैने कहा भाई क्‍यूं अब तक तो आप मुझे 400 का ही देते थे। तो जनाब बोले अब तक मैं आपको सिलेंडर 100 रूपए ब्‍लैक में देता था। 300 का तो सिलेंडर था ही 100 रूपए ब्‍लैक के हो गए चार सौ लेकिन 50 रूपए अब एसएमएस ने भी तो बढा दिए। मैंने कहा तो भाई उस हिसाब से भी तो 450 ही हुए ना तो जनाब कहने लगे भाई महंगाई का जमाना है मेरे घर का सिलेंडर भी खत्‍म होने वाला है अब जब डीजल पैट्रोल बढने पर बस वाले आटो वाले अपना किराया बढा सकते हें तो मैं अपना भाव नहीं बढा सकता क्‍या? तो भाई अब क्‍या करें बडी उलझन हो गई। हमने तो अपने घर में मार्बल डलवा दिया हमें क्‍या पता था कि गैस के दाम गैस के साथ इतने उपर उठ जाएंगे कि सिलेंडर हाथ भी नहीं आए।

1 comment:

Udan Tashtari said...

बहुत ही उम्दा कार्टून लाये हैं.आभार.