Saturday 29 November 2008

मैग्‍जीन का ब्‍लाग

ब्‍लागिंग जगत में शायद सौ में से 80 फीसदी मीडिया से भी जुडे होंगे। तो आज मैं सभी के लिए एक बहुत ही अच्‍छे ब्‍लाग के बारे में जानकारी दूंगा। जहां पर आपको मिलेगा एक से बढकर एक मैग्‍जीन का लेआउट कंटेंट एवं फोटोग्राफस। ये ब्‍लाग है आदरणीय प्रदीप कुशवाह जी का। वैसे मैग्‍जीन प्रेमी एक बार इस ब्‍लाग पर आकर जरा देखें अपने अपने स्‍वादानुसार मसाला। जैसे फिल्‍मी, धार्मिक, भ्रमण एवं सेहत से लबालब मसाले के साथ । बस झट से उनके ब्‍लाग पर जाकर उनका उत्‍साहवर्धन करें। उनके ब्‍लाग पर जाने के लिए यहां पर क्लिक करें

Tuesday 25 November 2008

फूल की दास्‍तां

एक फूल बहुत ही सुंदर
मनभावन पर चंचल
ख्वाब लिए नैनों में अपने
होगा सवेरा प्रभु के चरणों मे...
जीवन सफल हो जाएगा उसका
मोक्ष उसे मिल जाएगा
एक फूल बहुत ही सुंदर
मगर विधि का विधान ही कुछ और
चला नही उस पर किसी का जोर
एक बेदर्द हवा का झोंका आया
फूल को राह मे उसने फैंका
परों तले कुचला गया,
और धूल मे वो मिल गया
तितर बितर उसके अंग
बिखर गया उसक हर रंग
किसी ने उसका दर्द न जाना
चूर चूर हो गया उसका
सपना सुहाना
होगा सवेरा प्रभु के चरणों मे...
जीवन सफल हो जाएगा उसका

Saturday 15 November 2008

टूट गया याराना

आज प्‍यार से प्‍यार का टूट गया याराना
आया है याद वो गांव का खंडहर पुराना
जहां होती थी हम दोनों की रोज मुलाकातें
कुछ मीठी सी नोंक झोंक और कुछ प्‍यारी सी बातें

वो खंडहर, हमारी अनमोल चाहत का था महल
ना जाने किसकी लगी हमारे प्‍यार को नजर
एक पल में जुदा कर गया वक्‍त मुझसे मेरे यार को
कुछ इस कदर उठा तूफान जमाने की बंदिशों का
कि फना हो गई हमारी मोहब्‍बत की कहानी

रुका तूफान तो निगाहों ने ढूंढा मेरे प्‍यार को
देखा कि वो पुराना खंडहर ढह चुका था
और उसके साथ ही दफन हो गया
वो हमारे प्‍यार का महल

Wednesday 12 November 2008

मेरा साया

मेरा हमदम मेरा दोस्‍त है मेरा साया
हर समय हर पल
रहता है साथ
मेरा साया

सुख में दुख में
आंधी तूफान में
मेरे साथ है
मेरा साया

कभी थकता नहीं कभी रुकता नहीं
चलता ही जाता है
साथ मेरे
मेरा साया

सूखी नदी में पैर फिसल गया
मुझे संभाला खुद गिर गया
मेरा साया

पर्वत ने रोका रास्‍ता मेरा
न रुकने दिया चलाता रहा मुझे
मेरा साया

दोस्‍तों ने छोड दिया साथ
न होने दिया कभी उदास
हंसता रहा साथ मेरे
मेरा साया

Tuesday 11 November 2008

मैं क्‍या हूं...

बहुत दिनों से ब्‍लाग से मेरा संपर्क नहीं हो रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे शरीर के किसी अंग ने काम करना ही बंद कर दिया। बहुत तकलीफ होती थी। जब सोचता था कि इतने दिनों तक की जुदाई आखिर कैसे सही है मैंने। बताने के लिए मेरे पास शब्‍द नहीं हैं। आज कुछ लिखने का काफी मन बन गया और सोचा चाहे आज कुछ भी हो जाए एक पोस्‍ट तो लिखूंगा ही लेकिन जैसे ही मेल चैक की तो उसमें बहुत ही महान ब्‍लागरों की मेल देखी जिसमें लिखा था कि आगे भी बढो। पढकर एकबारगी तो सोचने पर मजबूर हो गया कि ब्‍लाग के पहले मैं क्‍या था और आज महान महान विद्वान मुझे आशीर्वाद दे रहे हैं और मुझे आगे बढने के लिए कुछ लिखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। मेरी खुशी का ठिकाना ही ना रहा क्‍योंकि अब मैं अकेला नहीं हूं। आज ना लिख पाने के लिए क्षमा चाहता हूं लेकिन कल से अवश्‍य इस ब्‍लाग को नियमित कर लूंगा। बस आप सभी का यही आशीर्वाद की कामना करता हूं। बस ये चार लाईने जैसे ही जहन में आई तो इन्‍हीं चार लाईनों को सांझा कर रहा हूं ...

सोचता हूं आज मैं

क्‍या था कुछ दिनों पहले मैं

शायद किसी कवि की रचना

के किसी शब्‍द की मात्रा का

सौंवा भाग भी नहीं हूं मैं

शायद किसी रेगिस्‍तान के

रेत के एक कण के माणिद भी नहीं हूं मैं

कोई बताए मुझे

मैं क्‍या हूं मैं क्‍या हूं मैं क्‍या हूं