Monday 7 November 2011

पढो और बताओ कैसा लगा

कल मेरे पास कुवैत से एक फ़ोन आया जिसमे मेरी पत्नी रजनी वशिष्ठ कि लिखी हुयी एक कविता को काफी सराहा गया था वों कविता बहुत पसंद आयी और कुवैत के एक हिंदी भाषी स्कूल में वों कविता बच्चों को पढाई जा रही है क्यूँ है ना ये ख़ुशी कि बात
 मतलब की दुनिया
Tuesday, 20 October 2009
उफ ये दुनिया ये मतलब की दुनिया
ये चेहरों पे चेहरे लगाती है दुनिया
ये भोले ये मासूम सुंदर से चेहरे
मगर दिल में इनके हैं काले अंधेरे
मतलब के रिश्‍ते बनाती है दुनिया
फिर तन्‍हा एक दिन छोड जाती है दुनिया
कभी दोस्‍त बनके हंसाती है दुनिया

कभी बनके दु‍श्‍मन रुलाती है दुनिया
कभी प्‍यार से लगाकर गले
पीछे से खंजर चुभोती है दुनिया
कभी खूबसूरत चेहरे पे न जाना
दिल देखकर फिर दिल को लगाना
इंसान को यही सिखाती है दुनिया
है दौलत यहां हर रिश्‍ते से ऊपर
दौलत के लिए अपनों का खून
बहाती है दुनिया
ऊफ ये दुनिया ये मतलब की दुनिया
-रजनी वशिष्‍ठ
(नोट - यह कविता मेरी पत्‍नी द्वारा लिखित है । )
को मोहन वशिष्‍ठ 9991428447 द्वारा 10/20/2009 03:22:00 PM

Thursday 7 July 2011

मिटटी से डरे नेताजी और अधिकारी

दोस्‍तों आज मैंने दा फोटो देखे देखकर अच्‍छा लगा साथ ही बुरा भी लगा हमारे देश के एक नेता हैं और दूसरे बडे अधिकारी हैं चले दोनों पौधारोपण करने के लिए पौधरोपण भी किया फोटो भी खींचा गया और सुबह अखबारों में भी लगेंगे लेकिन दोनों ही फोटो में एक हैरत वाली बात थी वो आप दोनों फोटो को देखकर बताओ क्‍या हैरान करने वाली बात है
इस फोटो में नेताजी आए हैं पौधरोपण करने लेकिन मिटटी से डर रहे हैं देखें गोल दायरे में

इस फोटो में अधिकारी हैं लेकिन मिटटी से डर रहे हैं इसलिए पैरों के नीचे अखबार बिछा डाले अगर जनाब को मिटटी से इतना ही डर लगता है तो पौधरोपण क्‍यूं करने आए दें आप भी अपनी राय क्‍या ये सही है 

Tuesday 5 April 2011

यारों वर्ल्ड कप उठा लिया


यारों वर्ल्ड कप उठा लिया
आना था इसे दोबारा
लो ये आ गया
यारों वर्ल्ड कप उठा लिया
धोनी सचिन हैं हीरो
युवी सहवाग भी कम नहीं
पाकिस्तान को पीटा
लंका को जीत लिया
आना था इसे दोबारा
लो ये आ गया
थी तमन्ना अरबों की
कर दी पूरी हमने भारत की
की थी दुआएं सभी ने
लाने को वर्ल्ड कप
कोशिश थी हमारी
दुआएं थी तुम्हारी
जोखिम ये उठा लिया
आना था इसे दोबारा
लो ये आ गया
सहेज कर रखो इसे अब
आया है 28 साल बाद
ये वर्ल्ड कप है हमारा
सारे जहाँ से अच्छा
हिंदुस्तान हमारा हमारा हमारा...........

मोहन वशिष्ठ

Monday 7 March 2011

संगत

अगर संगत से ही तमाम खूबियां आ जाती हैं 
तो गन्ने के खेत में उगने वाले सभी पौधों में 
रस क्यों नहीं होता ?