Monday 31 August 2015

बहुत दिन से लिखने का मन कर रहा है  लेकिन समझ नहीं  आता क्या लिखूं कब लिखूं कैसे लिखूं अब आप ही मुझे सलाह दो क्या कोई कविता रूपी रचना ठीक रहेगी ताकि अपनी उपस्थिति आप सभी के बीच रख स
कूँ मेरा मार्गदर्शन करो. कुछ ये  भी बताओ की पहले की तरह अपनी पोस्ट पढ़वाने के लिए क्या कोई चिठ्ठाजगत या ब्लॉगवाणी की तरह कुछ है क्या जो हमारी पोस्ट आ सके. 

Tuesday 16 December 2014

घर की आन

घर की आन

बेटियाँ घर की आन होती हैं
बेटियाँ देश की शान होती हैं
बेटियाँ माँ बाप की जान होती हैं
बेटियाँ भाई के साथ होती हैं
बेटियाँ हर मुकाम पर साथ देती हैं
बेटियाँ रोशन नाम करती हैं
बेटियाँ तो बेटियाँ होती हैं
बेटियों पर कोई एहसान नही करता
बेटियाँ सब पर एहसान करती हैं
आखिर बेटी तो बेटी होती है
और मुझे गर्व है कि
मैं भी एक बेटी का बाप हूँ
एक बेटी का भाई हूँ
एक बेटी का बेटा हूँ
देखते ही देखते बेटियाँ बड़ी हो जाती हैं

Tuesday 28 October 2014

देर आयद दुरुस्त आयद


अब मैं फिर से अपना ब्लॉग चालू करने की सोच रहा हूँ क्या ये मेरा कदम सही साबित होगा कृपया मेरा मार्गदर्शन करें

Saturday 22 December 2012

खून के आंसू

हर दिन एक न एक क्राईम का समाचार अखबारों और न्यूज चैनलों की सुर्खियां बना रहता है। कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब कोई मर्डर, रेप, अपहरण या चोरी डकैती न हुई हो। क्या हो गया है हमारे सभ्य समाज को? क्या आजादी इन्हीं कामों के लिए मिली थी? वाह रे मेरे देश प्रेमियों क्यों भारत माता को खून के आंसू रुला रहे हो। कुछ साल पहले किसी ने भविष्यवाणी की थी 21-12-2012 को प्रलय आएगी और दुनिया समाप्त हो जाएगी, आज वह प्रलय का दिन है लेकिन प्रलय भी इन वहशी दरिंदों से डर गई लगता है। मर्डर, रेप, अपहरण या चोरी डकैती जैसे घिनौने कुकृत्य आज हमारे इस सभ्य समाज की शोभा बढ़ा रहे हैं। शायद इस पर ही हम सब गर्व महसूस करते हैं। अगर आज गांधी, नेहरू, नेताजी बोस, लाला लाजपतराय, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जैसे हमारे लिए अपनी जान को न्योछावर करने वाले जिंदा होते तो बहुत खुश होते हमारी इन नीच हरकतों को देखते हुए। वैसे आज अगर इन शहीदों की आत्मा कहीं से भी हमें देख रही होगी तो भारत माता जैसी पावन धरा की तरह वो भी खून के आंसू ज़ार-ज़ार रो रहे होंगे और सोच रहे होंगे कि क्यों हमने इन पापियों के लिए अपने प्राण न्योछावर किए? अभी हाल ही में दिल्ली में दिल दहला देने वाला हादसा सामने आया। एक 23 वर्षीय होनहार छात्रा को कुछ युवकों की हवश ने जिंदगी और मौत के बीच जूझने के लिए छोड़ दिया। सुनकर ही रौंगटे खड़े हो जाते हैं। चार वहशी युवकों ने छात्रा को उसके साथी के सामने ही पहले मारा पीटा फिर उसके साथ दुष्कर्म जैसी गंदी घटना को अंजाम दिया और यही नहीं फिर लोहे की रॉड और डंडों से मारपीट कर चलती बस से नीचे फेंक दिया। बहुत ही शर्मनाक और वहशी घटना है। ऐसे लोगों को हमारे कानून में सजा के नाम पर सिर्फ कुछ सालों की कैद या फिर बाद में बेल दे दी जाती है। लेकिन अगर हम कुछ देशों अमेरिका के कुछ राज्य, चेक गणराज्य, दक्षिण कोरिया  जैसे कानून देखें जहां इस तरह की घटना को अंजाम देने वालों को नपुंसक बनाने का कानून है और अपने भारत में ऐसा कड़ा कानून क्यों नहीं है। हर रोज होने वाली इन रेप और गैंग रेप जैसी घटनाओं को रोकने के लिए चाहिए कि एक बहुत ही ज्यादा सख्त कानून बने जिसमें हो कि रेप करने वालों को सबसे पहले नपुंसक बनाया जाए फिर उसके हाथ पैर काटकर छोड़ दिया जाए ताकि मरते दम तक उनकी और ऐसे ही तमाम उन वहशी दरिंदों की रुह कांपती रहे ताकि ऐसा कदम उठाने से पहले बार-बार सोचे। और हो सकता है कि एक-दो के बाद शायद इस तरह की सजा देने की जरूरत भी न पड़े। ऐसे दरिंदों को मौत की सजा तो एक छोटी सी और साधारण सी बात है क्योंकि रेपिस्ट को अगर मौत दे दी जाए तो उसे मौत के बाद पता भी नहीं होगा कि उसने क्या किया जिसकी सजा उसे मिली और अगर ऐसी ही सजा का प्रावधान हो जाए तो ताउम्र वह सोचता ही रहेगा और तो और उसे देखकर अनेक तमाम खुले घूमने वाले भेडिये भी सोचेंगे।

Monday 7 November 2011

पढो और बताओ कैसा लगा

कल मेरे पास कुवैत से एक फ़ोन आया जिसमे मेरी पत्नी रजनी वशिष्ठ कि लिखी हुयी एक कविता को काफी सराहा गया था वों कविता बहुत पसंद आयी और कुवैत के एक हिंदी भाषी स्कूल में वों कविता बच्चों को पढाई जा रही है क्यूँ है ना ये ख़ुशी कि बात
 मतलब की दुनिया
Tuesday, 20 October 2009
उफ ये दुनिया ये मतलब की दुनिया
ये चेहरों पे चेहरे लगाती है दुनिया
ये भोले ये मासूम सुंदर से चेहरे
मगर दिल में इनके हैं काले अंधेरे
मतलब के रिश्‍ते बनाती है दुनिया
फिर तन्‍हा एक दिन छोड जाती है दुनिया
कभी दोस्‍त बनके हंसाती है दुनिया

कभी बनके दु‍श्‍मन रुलाती है दुनिया
कभी प्‍यार से लगाकर गले
पीछे से खंजर चुभोती है दुनिया
कभी खूबसूरत चेहरे पे न जाना
दिल देखकर फिर दिल को लगाना
इंसान को यही सिखाती है दुनिया
है दौलत यहां हर रिश्‍ते से ऊपर
दौलत के लिए अपनों का खून
बहाती है दुनिया
ऊफ ये दुनिया ये मतलब की दुनिया
-रजनी वशिष्‍ठ
(नोट - यह कविता मेरी पत्‍नी द्वारा लिखित है । )
को मोहन वशिष्‍ठ 9991428447 द्वारा 10/20/2009 03:22:00 PM

Thursday 7 July 2011

मिटटी से डरे नेताजी और अधिकारी

दोस्‍तों आज मैंने दा फोटो देखे देखकर अच्‍छा लगा साथ ही बुरा भी लगा हमारे देश के एक नेता हैं और दूसरे बडे अधिकारी हैं चले दोनों पौधारोपण करने के लिए पौधरोपण भी किया फोटो भी खींचा गया और सुबह अखबारों में भी लगेंगे लेकिन दोनों ही फोटो में एक हैरत वाली बात थी वो आप दोनों फोटो को देखकर बताओ क्‍या हैरान करने वाली बात है
इस फोटो में नेताजी आए हैं पौधरोपण करने लेकिन मिटटी से डर रहे हैं देखें गोल दायरे में

इस फोटो में अधिकारी हैं लेकिन मिटटी से डर रहे हैं इसलिए पैरों के नीचे अखबार बिछा डाले अगर जनाब को मिटटी से इतना ही डर लगता है तो पौधरोपण क्‍यूं करने आए दें आप भी अपनी राय क्‍या ये सही है 

Tuesday 5 April 2011

यारों वर्ल्ड कप उठा लिया


यारों वर्ल्ड कप उठा लिया
आना था इसे दोबारा
लो ये आ गया
यारों वर्ल्ड कप उठा लिया
धोनी सचिन हैं हीरो
युवी सहवाग भी कम नहीं
पाकिस्तान को पीटा
लंका को जीत लिया
आना था इसे दोबारा
लो ये आ गया
थी तमन्ना अरबों की
कर दी पूरी हमने भारत की
की थी दुआएं सभी ने
लाने को वर्ल्ड कप
कोशिश थी हमारी
दुआएं थी तुम्हारी
जोखिम ये उठा लिया
आना था इसे दोबारा
लो ये आ गया
सहेज कर रखो इसे अब
आया है 28 साल बाद
ये वर्ल्ड कप है हमारा
सारे जहाँ से अच्छा
हिंदुस्तान हमारा हमारा हमारा...........

मोहन वशिष्ठ

Monday 7 March 2011

संगत

अगर संगत से ही तमाम खूबियां आ जाती हैं 
तो गन्ने के खेत में उगने वाले सभी पौधों में 
रस क्यों नहीं होता ?

Friday 31 December 2010

मुबारकबाद

आ गया नया साल
ले लो मुबारक बाद
मिलेंगी फिर पूरे एक साल बाद
क्यूंकि आता है नया साल
पूरे एक साल बाद
होता रहे जिन्दगी में आपकी
खुशियों का आगमन सारा साल
हर दिन मनाओ तुम खुशियाँ
नए साल के जश्न कि तरह यही दुआ है हमारी
मिल जुलकर बांटो खुशियाँ सारी
इसी के साथ देते हैं शब्दों को अल्पविराम
आप सभी को नया साल कि मुबारकबाद
HAPPY
           NEW 
                   YEAR
                              2011