कुछ लोग जमाने में ऐसे भी तो होते हैं
दफ्तर में जो हंसते हैं घर जाके वो रोते हैं
बीवी की नजरों में अच्छे हैं वो शौहर
बच्चों के कपड़ों को, जो शौक से धोते हैं
बच्चों के कपड़ों को, जो शौक से धोते हैं
रातभर बीवी की खिदमत में जुटते हैं
जाते ही वो दफ्तर में आराम से सोते हैं
कुर्सी पर लदे रहना, बस फितरत है इनकी
कुर्सी के ये खटमल, बेपैंदी के लौटे हैं
पंखों में परिंदों जैसी उड़ने की तमन्ना है
ये बात क्या समझेंगे जो पिंजरे के तोते हैं
सीने में हिमालय की कुल्फी के खजाने हैं
क्यों खवाब में चुस्की के पलकों को भिगोते हैं
ये लाइन maine http://gauravkumra84.blogspot.com/ is blog se li hain so koi bhi inhe anyatha na le