Friday 31 December 2010

मुबारकबाद

आ गया नया साल
ले लो मुबारक बाद
मिलेंगी फिर पूरे एक साल बाद
क्यूंकि आता है नया साल
पूरे एक साल बाद
होता रहे जिन्दगी में आपकी
खुशियों का आगमन सारा साल
हर दिन मनाओ तुम खुशियाँ
नए साल के जश्न कि तरह यही दुआ है हमारी
मिल जुलकर बांटो खुशियाँ सारी
इसी के साथ देते हैं शब्दों को अल्पविराम
आप सभी को नया साल कि मुबारकबाद
HAPPY
           NEW 
                   YEAR
                              2011

Friday 10 December 2010

मैं शराबी हूँ मुझे प्यार है आखिर क्यूँ है

कल रात ऑफिस में बैठा था तो youtube पर गाने सुन रहा था गाना था अताउल्लाह खान का बोल हैं मैं शराबी हूँ मुझे प्यार है आखिर क्यूँ है बहुत ही दर्द झलक रहा था इस गाने में जरा आप भी सुनो ये बहुत ही प्यारा गीत मगर बिना पिए और गाना सुनकर पीने कि इजाजत नहीं है

main sharabi hoon, muhje pyaar hai, aakhir kiyun hai


Sunday 14 November 2010

माँ की गोद

मैं जब मर जाऊं
मुझे मत दफनाना
न ही मुझे जलाना
बस मुझे तो भेज देना
मेरी माँ कि गोद में
जिसके लिए तरसा हूँ मैं
तडपा हूँ मैं
उसकी गोद में
बस
सिर रखकर सोना चाहता हूँ
यूँ ही सदियों तक
न कोई जगाना मुझे
न कोई आवाज देना 
मैं खो जाना चाहता हूँ
माँ की गोद में

Sunday 10 October 2010

********* पहचान **********

पेड के उपर चढा आदमी
ऊचा दिखाई देता है !
जड मे खडा आदमी
नीचा दिखाई देता है !
आदमी न ऊचा होता है, न नीचा होता है,
न बडा होता है,न छोटा होता है !
आदमी सिर्फ़ आदमी होता है !
पता नहीं इस सिधे, सपाट सत्य को
दुनिया क्यों नहीं जानती ?
और अगर जानती है,
तो मन से क्यों नहीं मानती ?
किसी संत कवि ने कहा है की
मनुष्य के उपर कोइ नहीं होता,
मुझे लगता है कि मनुष्य के उपर उसका मन होता है !
छोटे मन से कोइ बडा नहीं होता,
टुटे मन से कोइ खडा नहीं होता !
आदमी की पहचान,
उसके धन या आसन से नहीं होती,
उसके मन से होती है !
मन की फकीरी पर
कुबेर की संपदा भी रोती है !

-श्री.अटल बिहारी वाजपेयी जी द्वारा रचित | 

वन्दे मातरम् !!!

Friday 10 September 2010

तड़पन

आखिर आज पुकार ही लिया
मुझे उसने
मेरे नाम से
ले ही लिया आखिर
मेरा नाम
अपनी जुबान पर
लेकिन क्यूँ
पता नहीं क्यूँ
बस पता है तो
ये ही कि
मेरा नाम आज आखिर
उसने लिया है
अपनी जुबान पर
तड़पता था मैं
सुनने के लिए
उसके मुहँ से अपना नाम 


Friday 16 July 2010

आंसू हैं मेरे साथ

आँखों से गिरते आंसूं
दिल में उठती टीस
नहीं है कोई अपना
सिर रखने को
जो देता मुझे कन्धा

पोंछ देता
मेरे बहते आंसू

भाई का लाड
मां-बाप का दुलार
दोस्तों का प्यार 
छूट गया अब
सब अपनों का साथ
बस रह गए तो केवल

आंसू
नहीं है अब इन्हें पोंछने वाला कोई
सभी हैं आंसू देने वाले

इस दुनिया में
मेरे जैसे का होता है यही हाल
कोई तो होना ही चाहिए
आंसू हैं मेरे साथ

Tuesday 6 July 2010

उदासी का आलम

आज तुम उदास हो
मैं भी उदास हूँ
सारा जहाँ उदास है

इस उदासी को दूर कर दो
अपनी एक मुस्कराहट देकर

सूरज निकला
लेकिन
देखकर तुम्हारी उदासी का आलम
वों दमकना भूल गया
भूल गया की उसे
करना है रोशन जहाँ को
पर कर न सका रोशन
देखकर तुम्हारी उदासी का आलम

बादल आये
घन घोर घटायें लाये
पर बरस न सके
देखकर तुम्हारी उदासी का आलम
बरसना ही भूल गए

एक रहम तुम
जहाँ पर कर दो
करने दो रोशन जहाँ को
बरसने दो बादलों को
तोड़कर तुम अपनी
उदासी का आलम

Friday 25 June 2010

तेरी अदा

मोटी मोटी आँखें

रंग आँखों का काला
नागिन सी जुल्फें काली
घटा सी भारी भारी
लहराती है कमर पर
जब चलती है तू इठलाकर

वों तेरा बातें करना
व़ो तेरा हंसना मुस्कुराना
रूठकर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराना
कर जाता है घायल
हो जाते हैं कायल
चलता है जब
इक तीर जिगर पर
जब देखती है तू आँखें मिचलाकर

नहीं है ठीक सीने जिगर पर
अंखियों का वार करना
तेरा बंद आँखों से सब कुछ कह जाना
कर जाता है घायल
तुम्हारा अपने आप में यूँ सिमट जाना
मगर जब
कहते हो बातें भी न करना
न हाल दर्दे दिल का सुनना
और न अपने दिल का हाल सुनाना
मार डालेगा ये बेरुखी का आलम तुम्हारा

Saturday 12 June 2010

आंगन में पंछी आए ख्वाब सजाने को

आंगन में पंछी आए ख्वाब सजाने को
आँखों में सपने लाये ,कुछ कर दिखाने को
कुछ सपने पीछे छूटे पलकों पे आंसू बनके
कुछ अपने पीछे छूटे पलकों पे आंसू बनके
कुछ ख्वाब झांकते हैं आँखों में मोती बनके
कुछ वादे अपनों के हैं ,कुछ वादे अपने से
कल दुनिया महकेगी फूल जो आज खिलने को हैं ....2
खिलने दो रंगों को फूलों को अपने संग
महकेगी दुनिया सारी ,बहकेगी अपने संग
ख्वाबों के परवाजो से आसमान झुकाने को है........2
आंगन में पंछी आए ख्वाब सजाने को
आँखों में सपने लाये ,कुछ कर दिखाने को
क़दमों की आहट अपनी दुनिया हिला देगी
यारों की यारी अपनी हर मुश्किल भुला देगी
यह रचना आदरणीय दिव्या प्रकाश दुबे जी की है जिसको मैंने उनके ब्लॉग  से लिया है


दिव्य प्रकाश दुबे
Divya Prakash Dubey

Wednesday 9 June 2010

क्या लिखूँ


कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ या दिल का सारा प्यार लिखूँ
कुछ अपनो के ज़ाज़बात लिखूं या सापनो की सौगात लिखूँ
मै खिलता सुरज आज लिखू  या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ  
वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की साँस लिखूँ
वो पल मे बीते साल लिखू या सादियो लम्बी रात लिखूँ
मै तुमको अपने पास लिखू या दूरी का ऐहसास लिखूँ
मै अन्धे के दिन मै झाँकू या आँन्खो की मै रात लिखूँ
मीरा की पायल को सुन लुँ या गौतम की मुस्कान लिखूँ
बचपन मे बच्चौ से खेलूँ या जीवन की ढलती शाम लिखूँ
सागर सा गहरा हो जाॐ या अम्बर का विस्तार लिखूँ
वो पहली -पाहली प्यास लिखूँ या निश्छल पहला प्यार लिखूँ
सावन कि बारिश मेँ भीगूँ या आन्खो की मै बरसात लिखूँ
गीता का अर्जुन हो जाऊं  या लकां रावन राम लिखूँ
मै हिन्दू मुस्लिम हो जाऊं या बेबस ईन्सान लिखूँ
मै ऎक ही मजहब को जी लुँ या मजहब की आँखें चार लिखूँ

Monday 7 June 2010

राम का लैटर सीता के लिए पंजाबी में...

प्यारी सीता,
मैं इथे  राजी ख़ुशी से हाँ and hope ke tu v ठीक ठाक hovengi,
लक्ष्मण रात नु तेनु बहुत याद करदा सी.
मैं इस बन्दर दे हाथ तेनु चिट्ठी bhej reha हाँ,
तू bilkul tension ना layi मैं बहुत jaldi tenu ravan कोलो छुड़ा लवांगे
मैं AIRTEL दा postpaid ले लिया सी, RAVAN nu मैं mobile te बहुत गालियाँ काढिया  te साले ने काट ditta,
चल कोई ni मैंने आना ता है ही. Taan KUTUNGA उसनू 
मैं तेरे naal भी एक AIRTEL ka prepaid bhej riya सी usme 1500 SMS free
wali scheme हा, तू रोज़ मेरे को SMS kari.

Chinta ना kari, जब भी gal करने को जी करे, एक miss call मार diyo.
मैं यहाँ से tenu बात कर levenga.
तू मेरे bill दी chinta ना kariyo, Sugreev nu payment दा jimma दे ditta
si.

Accha OK
See U.
With Luv
दशरथ दा Vadda पुत्तर "राम
7:40 pm (4 hours ago)
COOL: 

ऑरकुट से साभार

Saturday 5 June 2010

आदत

रास्ते में ही छोड़कर उन्हे जाने कि आदत है
वो मेरे हर झूठ से खुश होती,
जिसे हमेशा सच बोलने की आदत थी,
वो एक आंसू भी गिरने पर खफा होती थी,
जिसे तन्हाई में रोने की आदत थी,

वो कहती थी की मुझे भूल जाओगे,
जिसे मेरी हर बात याद रखने की आदत थी,

हमेशा माफ़ी मांगने के बहाने से,
रोज़ गलतियाँ करना उसकी आदत थी,

वो जो दिल जान न्योछावर करती थी मुझ पर,
मगर छोटी सी बात पर रूठना उसकी आदत थी,

हम उसके साथ चल दिए पर ये नहीं जानते थे,
की रास्ते में ही छोड़कर उन्हे जाने कि आदत है,,

लोग कहते हैं ज़मीं पर किसी को खुदा नहीं मिलता
शायद उन लोगों को दोस्त कोई तुम-सा नहीं मिलता


किस्मतवालों को ही मिलती है पनाह कीसी के दिल में
यूं हर शख़्स को तो जन्नत का पता नहीं मिलता


अपने सायें से भी ज़यादा यकीं है मुझे तुम पर
अंधेरों में तुम तो मिल जाते हो, साया नहीं मिलता


इस बेवफ़ा ज़िन्दगी से शायद मुझे इतनी मोहब्बत ना होती
अगर इस ज़िंदगी में दोस्त कोई तुम जैसा नहीं मिलता

ऑरकुट से साभार 

Sunday 9 May 2010

मां तुझे सलाम

सर्वप्रथम आप सभी को मांतृत्‍व दिवस की हार्दिक बधाईं इस उपलक्ष्‍य पर मैं मां के लिए दो शब्‍द आपके सामने प्रस्‍तुत करना चाह रहा हूं आशा है आप सबको पसंद आएंगे

मेरी मां
बूढी है मगर
अभी भी बच्‍चों के लिए
रखती है हौंसला
अपने 40 साल के बेटे को
गोद में उठाने की और
उसे वही लाड प्‍यार करने की
जो करती थी तब
जब वह खुद थी 40 साल की और
बेटा था कुछ ही साल का
मगर क्‍या हुआ
अभी भी उसकी बाजुओं में जान नहीं
लेकिन उसका ये निस्‍वार्थ प्‍यार
है ना उसके साथ

Sunday 4 April 2010

प्यार खुदा की ही बन्दगी है

एक चिडिया को एक सफ़ेद गुलाब से प्यार हो गया , उसने गुलाब को प्रपोस किया ,
गुलाब ने जवाब दिया की जिस दिन मै लाल हो जाऊंगा उस दिन मै तुमसे प्यार करूँगा ,
जवाब सुनके चिडिया गुलाब के आस पास काँटों में लोटने लगी और उसके खून से गुलाब लाल हो गया,
ये देखके गुलाब ने भी उससे कहा की वो उससे प्यार करता है पर तब तक चिडिया मर चुकी थी


इसीलिए कहा गया है की सच्चे प्यार का कभी भी इम्तहान नहीं लेना चाहिए,
क्यूंकि सच्चा प्यार कभी इम्तहान का मोहताज नहीं होता है ,
ये वो फलसफा; है जो आँखों से बया होता है ,

ये जरूरी नहीं की तुम जिसे प्यार करो वो तुम्हे प्यार दे ,
बल्कि जरूरी ये है की जो तुम्हे प्यार करे तुम उसे जी भर कर प्यार दो,
फिर देखो ये दुनिया जन्नत सी लगेगी
प्यार खुदा की ही बन्दगी है

माफ़ करना दोस्तों बहुत दिनों से आपके पास आन की सोच रहा था की नई जॉब के कारण आपसे रूबरू न हो सका अब शायद जल्दी जल्दी आपसे रूबरू हो जाया करूँगा आज जो पोस्ट मैं आपको पढ़ा रहा हुन वों मैंने नहीं लिखी है वों किसी एक दोस्त के ऑरकुट से कॉपी कर आपको पढ़ा रहा हूँ लिखने वाले का नाम पता नहीं है अगर किसी ने लिखी हो तो मुझे बता सकता है मैं लेखक का नाम दाल दूंगा मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी  इसको पढ़ने का मेरा मकशाद केवल अच्छी लगी इसीलिए पढ़ा रहा हूँ जिस भी लेखक ने लिखी है उसको मेरी और से भी बधाई इतनी प्यारी और दिल को छू लेने वाली पोस्ट के लिए

Monday 15 March 2010

बहुत दिन बाद वापसी दोस्त के लिए







तेरी दोस्ती है मेरे लिए
भगवन का नायब तोहफा
नजर न लगे किसी की इसे
जो मिला है ये नायब तोहफा
मिले हर जनम में
भाई की तरह तू
 है उपरवाले से येही दुआ
केशव तेरे लिए हैं शुभकामनायें मेरी
मिले मंजिल तुझे
पहुंचे कामयाबी-ए-शिखर पर
करो सीना गर्व से ऊँचा
अपने परिवार का



अब जल्द ही आप से मुलाकात करूँगा छोटे से ब्रेक के बाद

Wednesday 3 February 2010

तुम जब याद आते हो

तुम जब याद आते हो
तो रुलाते हो
जब याद नहीं आते
तो सताते हो
आखिर क्यूँ
क्या यही होती है चाहत
क्या यही प्रेम कहलाता है
अगर है यही प्रेम
तो है कडवा मगर बड़ा प्यारा
खुसनसीब हैं वों जो पीते हैं इस प्याले को
हो जाते हैं अमर
कर जाते हैं अमर
जो पीते हैं इस प्याले को

Saturday 30 January 2010

कुछ लोग जमाने में...


कुछ लोग जमाने में ऐसे भी तो होते हैं
दफ्तर में जो हंसते हैं घर जाके वो रोते हैं
बीवी की नजरों में अच्छे हैं वो शौहर
बच्चों के कपड़ों को, जो शौक से धोते हैं
रातभर बीवी की खिदमत में जुटते हैं
जाते ही वो दफ्तर में आराम से सोते हैं
कुर्सी पर लदे रहना, बस फितरत है इनकी
कुर्सी के ये खटमल, बेपैंदी के लौटे हैं
पंखों में परिंदों जैसी उड़ने की तमन्ना है
ये बात क्या समझेंगे जो पिंजरे के तोते हैं
सीने में हिमालय की कुल्फी के खजाने हैं
क्यों खवाब में चुस्की के पलकों को भिगोते हैं
ये लाइन maine http://gauravkumra84.blogspot.com/ is blog se li hain so koi bhi inhe anyatha na le

Sunday 17 January 2010

आपका एक दोस्त

पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .
एक दोस्त है कच्चा पक्का सा ,
एक झूठ है आधा सच्चा सा .
जज़्बात को ढके एक पर्दा बस ,
एक बहाना है अच्छा अच्छा सा .
जीवन का एक ऐसा साथी है ,
जो दूर हो के पास नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .
हवा का एक सुहाना झोंका है ,
कभी नाज़ुक तो कभी तुफानो सा .
शक्ल देख कर जो नज़रें झुका ले ,
कभी अपना तो कभी बेगानों सा .
जिंदगी का एक ऐसा हमसफ़र ,
जो समंदर है , पर दिल को प्यास नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं .
एक साथी जो अनकही कुछ बातें कह जाता है ,
यादों में जिसका एक धुंधला चेहरा रह जाता है .
यूँ तो उसके न होने का कुछ गम नहीं ,
पर कभी - कभी आँखों से आंसू बन के बह जाता है .
यूँ रहता तो मेरे तसव्वुर में है ,
पर इन आँखों को उसकी तलाश नहीं .
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं ,
तुम कह देना कोई ख़ास नहीं
..... आपका एक दोस्त

यह मैंने नहीं लिखी नेट पर घूमते हुए अचानक आँखों के सामने आ गयी और लगा की इसमें है कुछ बात जो दिल को छू गयी सो पोस्ट कर दी इसको मेरी लिखी हुयी न समझा जाए लेखक का नाम मुझे पता नहीं है अगर किसी को पता हो तो बता दें मैं उन सज्जन का नाम लगा दूंगा