एक खबर पढी
बेटे ने मां की जान ली
दुख हुआ कलेजा मुहं को आया
हे कलयुगी बेटे जिस मां ने तुझे
अपना खून देकर, अपनी जिंदगी देकर
नया जीवन दिया आज तूने ही
उसके खून से अपने हाथों को रंग लिया
लेकिन हे मां ये नादान था
पागल था
जो समझ ना सका तुझको
लेकिन तू तो मां है ना
मां अपने बेटे को माफ करती है
बेटे को खुश रहो का आर्शिवाद देती है
लेकिन
अब डर लग रहा है मां
जब और मांओं को पता लगेगा
उसका बेटा बडा होकर
उसी का कातिल बनेगा
तो कहीं ऐसा तो नहीं
कि हे मां तू बेटों को जन्म
देना ही छोड दे
और इसका खामियाजा
पूरी दुनिया भुगते
2 comments:
बहुत अच्छे मोहन जी। आपने बेटियों को जिस नज़िरए से देखा है, वह क़ाबिल-ए-तारीफ़ है।
आँखों में पानी आ गया...
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