Friday, 16 May 2008

कलयुगी बेटा

एक खबर पढी
बेटे ने मां की जान ली
दुख हुआ कलेजा मुहं को आया
हे कलयुगी बेटे जिस मां ने तुझे
अपना खून देकर, अपनी जिंदगी देकर
नया जीवन दिया आज तूने ही
उसके खून से अपने हाथों को रंग लिया
लेकिन हे मां ये नादान था
पागल था
जो समझ ना सका तुझको
लेकिन तू तो मां है ना
मां अपने बेटे को माफ करती है
बेटे को खुश रहो का आर्शिवाद देती है
लेकिन
अब डर लग रहा है मां
जब और मांओं को पता लगेगा
उसका बेटा बडा होकर
उसी का कातिल बनेगा
तो कहीं ऐसा तो नहीं
कि हे मां तू बेटों को जन्‍म
देना ही छोड दे
और इसका खामियाजा
पूरी दुनिया भुगते

2 comments:

life is beautiful said...

बहुत अच्छे मोहन जी। आपने बेटियों को जिस नज़िरए से देखा है, वह क़ाबिल-ए-तारीफ़ है।

UjjawalTrivedi said...

आँखों में पानी आ गया...