Sunday, 18 May 2008

चिडियों ने घर नहीं बनाया

एक दीवार बनाई
दूसरी दीवार बनाई
तीसरी फिर चौथी दीवार बनाई
छत डाल दी लेकिन
फिर भी अधूरा रह गया घर
चिडिया ने घोंसला नहीं बनाया
शीशे लगाए, खिडकी दरवाजे लगाए
मार्बल भी डलवाया
फिर भी अधूरा रह गया घर
चिटियों ने जगह नहीं बनाई

3 comments:

vijaymaudgill said...

वाह ओए मोहणियां मज़ा आ गया यार चिड़ियां ने घर नहीं बनाया तों मैंनूं आपणे पिंड दा कच्चा घर चेते आ गया। यार सच्ची ओहथे कीड़ियां लाइन बणाके साडे घर दी कंद दी किसे नुक्कर च जा वड़दीयां सी। शुक्रिया यार पिंड चेते करवाउण लई।

seema gupta said...

फिर भी अधूरा रह गया घर
चिटियों ने जगह नहीं बनाई
"oh how deeply you have thought abt it, marvellous..."

रावेंद्रकुमार रवि said...

कुछ बात तो ऐसी है
इस कविता में,
जो मन को छू गई!