कफन में लिपटा
वह आदमी
जो कभी भी
किसी को
दुख नहीं देता था
आज चला गया अकेला
चुप बिल्कुल चुप
इस जग से
तोड कर तमाम
रिश्तों नातों को
छोड गया तन्हा
अपने परायों को
आज दे गया इतना
दुख भला कैसे
ये तो वही आदमी था
जो कभी भी
किसी को
दुख नहीं देता था
कफन में लिपटा
वह आदमी
3 comments:
यही जीवन चक्र है मित्र. अच्छे भाव लगे.
mrityu ek staya hai jise hum sabhi jhuthlate hain..
bhaavpuran rachna..
जो कभी भी
किसी को
दुख नहीं देता था
कफन में लिपटा
वह आदमी
"wah so touching"
Regards
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