हो रही है बारिश झम- झमाझम
नाच रहे हैं पेड छम -छमाछम
बह रही है पवन सन -सनासन
हो रही है बारिश झम -झमाझम
नहीं निकला सूरज तम- तमाकर
छिप गया बादलों में दुम दबाकर
भर गया पानी लब- लबालब
हो रही है बारिश झम- झमाझम
गा रहे हैं पक्षी चह -चहाकर
मेंढक भी टर्राया टर- टराटर
पत्ते भी खिले चम -चमाकर
हो रही है बारिश झम- झमाझम
धरती भी हुई गीली तर- तरातर
बच्चों ने की मस्ती छम -छमाछम
आया सावन हर- हराहर
हो रही है बारिश झम- झमाझम
10 comments:
bhaiyaa..lagta hai aaj bhabhi ne pitai ki hai tham-thama0-tham...aur aansooo bahe hain jham-jhama-jham. aur yeh blog main ad itne laga diye hain ki dekhne ka mann nahin kart hai...padna to door ki baat....blog ki aatma ko mat jaane do
वाह भाई मजा आ गया बारिश की कविता पढ़कर
Waah !! Bahut hi sundar geet...
बहुत बढ़िया.
Bahut maja aaya aapke zamzamazam barish ka.
बहूत अच्छी रचना. कृपया मेरे ब्लॉग पैर पधारे
भई हमारे यहाँ तो अब टुकड़ों मे हो रही है फिर भी झमाझम का मजा तो आ ही गया -शरद कोकास दुर्ग छ.ग.
हो रही है बारिश झम-झमाझम।
बहुत बढ़िया।
baarish khoob ho rahi hai,aisa lagta hai..
barsaat ke mausam ka achcha varnan kiya hai.
बहुत सुन्दर...मोहन जी, ताला टिप्पणीकार को कविता की अपनी पसंद की पंक्तियां कॉपी करके टिपण्णी में शामिल करने से रोकता है...वक़्त की कमी की वजह से किसी भी अंश को दोबारा लिखने में दिक्क़त का सामना करना पड़ता है...
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