Saturday 12 July 2008

कोई



ऐ काश मुझपे इतना ऐतबार करे कोई
मेरी चाहत है वो ये मान जाए कोई

मेरी आंखों में बसा है बेइंतहा प्‍यार
ऐ काश उस प्‍यार को पहचान पाए कोई

दिल ये चाहे मुझे छेडे और सताए कोई
मैं ना मानू जो सताने से तो रूठ जाए कोई

हर आहट पे मेरे आने का गुमान करके
मेरे साये से यूं दौड कर लिपट जाए कोई

मेरी सांसों में समाने वाली खुशबू की तरह
मेरी बाहों में यूं तडप कर बिखर जाए कोई

मेरे जीने का सहारा भी कभी टूट जाएगा
मरने के बाद ही सही मेरे नाम का सिंदूर सजाए कोई

5 comments:

seema gupta said...
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seema gupta said...

hr aahet pr maire aane ka guman kr ke, maire saye se daud kr lepat jaye koee' wah vireh vaidna intjar ka ajeeb sa sangam dekhne ko mila hai. Kve ke kalpnashelta ka jvab nahe. Ek sundar rachna mnmohak chitrankan ke sath. Keep it up. Regards

राजीव रंजन प्रसाद said...

मेरी सांसों में समाने वाली खुशबू की तरह
मेरी बाहों में यूं तडप कर बिखर जाए कोई

बहुत सुन्दर..


***राजीव रंजन प्रसाद

www.rajeevnhpc.blogspot.com

बालकिशन said...

वाह. बहुत ही उम्दा और शानदार नज़्म.
बधाई.

Advocate Rashmi saurana said...

मेरी आंखों में बसा है बेइंतहा प्‍यार
ऐ काश उस प्‍यार को पहचान पाए कोई
दिल ये चाहे मुझे छेडे और सताए कोई
मैं ना मानू जो सताने से तो रूठ जाए कोई
vah bhut sundar.