Tuesday, 25 November 2008

फूल की दास्‍तां

एक फूल बहुत ही सुंदर
मनभावन पर चंचल
ख्वाब लिए नैनों में अपने
होगा सवेरा प्रभु के चरणों मे...
जीवन सफल हो जाएगा उसका
मोक्ष उसे मिल जाएगा
एक फूल बहुत ही सुंदर
मगर विधि का विधान ही कुछ और
चला नही उस पर किसी का जोर
एक बेदर्द हवा का झोंका आया
फूल को राह मे उसने फैंका
परों तले कुचला गया,
और धूल मे वो मिल गया
तितर बितर उसके अंग
बिखर गया उसक हर रंग
किसी ने उसका दर्द न जाना
चूर चूर हो गया उसका
सपना सुहाना
होगा सवेरा प्रभु के चरणों मे...
जीवन सफल हो जाएगा उसका

18 comments:

seema gupta said...

फूल बहुत एक सुंदर
मनभावन पर चंचल
ख्वाब लिए नेनों मे
होगा सवेरा प्रभु के चरणों मे...
" वाह कितने कोमल कितने पाक मोक्ष पाने के विचार हैं इस नाजुक से फूल के , मगर कितना बदनसीब है बेचारा , पेरों तले कुचला गया ..... शायद यही किस्मत होती होगी, हम इंसान ही नही ये फूल भी कुछ चाहत रखते हैं... बहुत सुन्दरता से आपने आपने भावों को व्यक्त किया है..."

regards

makrand said...

bahut sunder kavita

Anonymous said...

bahut marmik rachana,phool ka dard bahut sundar tarike se ubhara hai.

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत मार्मिक कविता ! शुभकामनाएँ !

Alpana Verma said...

ek phool ki dard bhari dastan--kavita bhaavpuran ahi

pritima vats said...

achchi kavita hai.Thanks

Udan Tashtari said...

वाह!! बहुत भावपूर्ण!!

राज भाटिय़ा said...

इस मार्मिक कविता हे लिये आप का बहुत बहुत धन्यवाद

नीरज मुसाफ़िर said...

मोहन जी, वो फूल इंसान ही तो है.

Manuj Mehta said...

एक फूल बहुत ही चंचल......

वाह बहुत खूब लिखा है आपने.

मैं कुछ दिनों के लिए गोवा गया हुआ था, इसलिए कुछ समय के लिए ब्लाग जगत से कट गया था. आब नियामत रूप से आता रहूँगा.

admin said...

फूलों के बारे में तो बहुत कुछ लिखा गया है, पर इतनी शिददत के साथ कहीं उसकी भावनाएं नहीं पढने को मिलीं, बधाई।

ਤਨਦੀਪ 'ਤਮੰਨਾ' said...

Respected Mohan ji...

I enjoyed reading this poem very much. So thought of dropping a line to say thanks for posting. Sorry I don't have keyboard in Devnagri to type in Hindi...but I can read, speak and write pretty well. Thanks for visitng my blog too. Keep it up!!

Regards
Tamanna

P.N. Subramanian said...

बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति. आभार.

P.N. Subramanian said...

बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति. आभार.

Unknown said...

Insan ko hamesa sadharan rahna chahia kionki sadharanta me sundarta hoti hai or sundarta me bhawan baste hai. Mai to sundarta ka bhaqt hun

Anonymous said...

शानदार अभिव्यक्ति... अगली पोस्ट का इंतजार है..

Anonymous said...
This comment has been removed by a blog administrator.
Saket Ranjan said...

anjane hi aapke blog par pahunch gaya. kuchh hindi mein padhne ki ichha thi, shayad isi wajah se.Bhavon ko behtareen tareeke se prastut kiya hai aapne.mujhe to behad pasand aayi aapki yeh rachna.