देखकर तेरे चेहरे का नूर

पतझड में भी आ जाती है बहार
हो जाए खुदा भी कायल तेरा
देखकर तेरे चेहरे का नूर
जब चलती है तू इठलाकर
हो जाती है है मस्त पवन
झूमते हैं बादल गाता है ये गगन
देखकर तेरे चेहरे का नूर
हंसती है जब तू खिलखिलाकर
चमन का हो जाता है श्रृंगार
सूखे झरने में आ जाती है फुहार
देखकर तेरे चेहरे का नूर
निकले जब खुली जुल्फों को चेहरे पे बिखेर
चुप हो जायें काले बादल मुंह को फेर
शर्मा जाती है कायनात भी हुजुर
देखकर तेरे चेहरे का नूर
उन लम्हों में तेरा नूर
करता है चांद को भी बेनूर
असंख्य तारों के बीच से
उतरे जमीन पर एक कोहिनूर
देखकर तेरे चेहरे का नूर
देखकर तेरे चेहरे का नूर