Thursday, 1 January 2009

नववर्ष की नव बेला

नव प्रभात नव अरुण रस्मी हो.
नूतन पथ नेह नूतन हो
मृदुल मृदुल मृदु विहगों का कल
नव वसंत में नित नूतन हो
नव प्रकाश की नवल ज्योति का
जीवन में संचार नवल हो

कृत श्री त्रिलोचन भट़ट जी

5 comments:

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर कविता लिखी आप ने .
धन्यवाद

Anonymous said...

नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सुन्दर रचना।

रामराम।

Alpana Verma said...

Mohan ji aap ko aur aap ke parivar mein sabhi ko नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं--

Smart Indian said...

मोहन प्रा जी, नवें साल दी लख-लख बधाई होवे!