बहुत दिनों से ब्लाग से मेरा संपर्क नहीं हो रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे शरीर के किसी अंग ने काम करना ही बंद कर दिया। बहुत तकलीफ होती थी। जब सोचता था कि इतने दिनों तक की जुदाई आखिर कैसे सही है मैंने। बताने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। आज कुछ लिखने का काफी मन बन गया और सोचा चाहे आज कुछ भी हो जाए एक पोस्ट तो लिखूंगा ही लेकिन जैसे ही मेल चैक की तो उसमें बहुत ही महान ब्लागरों की मेल देखी जिसमें लिखा था कि आगे भी बढो। पढकर एकबारगी तो सोचने पर मजबूर हो गया कि ब्लाग के पहले मैं क्या था और आज महान महान विद्वान मुझे आशीर्वाद दे रहे हैं और मुझे आगे बढने के लिए कुछ लिखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। मेरी खुशी का ठिकाना ही ना रहा क्योंकि अब मैं अकेला नहीं हूं। आज ना लिख पाने के लिए क्षमा चाहता हूं लेकिन कल से अवश्य इस ब्लाग को नियमित कर लूंगा। बस आप सभी का यही आशीर्वाद की कामना करता हूं। बस ये चार लाईने जैसे ही जहन में आई तो इन्हीं चार लाईनों को सांझा कर रहा हूं ...
सोचता हूं आज मैं
क्या था कुछ दिनों पहले मैं
शायद किसी कवि की रचना
के किसी शब्द की मात्रा का
सौंवा भाग भी नहीं हूं मैं
शायद किसी रेगिस्तान के
रेत के एक कण के माणिद भी नहीं हूं मैं
कोई बताए मुझे
मैं क्या हूं मैं क्या हूं मैं क्या हूं
11 comments:
चलो तंद्रा तो टूटी. लिखते रहिए. आभार.
http://mallar.wordpress.com
कोई बताए मुझे
मैं क्या हूं मैं क्या हूं मैं क्या हूं
बहुत बढिया भाई ! आपका इन्तजार रहता है ! शुभकामनाएं !
हम बताये देते हैं..आप एक अच्छे इन्सान हैं और इसीलिए सब इन्तजार कर रहे हैं. कल से नियमित होने के लिए शुभकामनाऐं.
sameer bhai se sahmat hun.
likhte rahen....shbhkaamnayen.
भाई इन्तजार रहे गा आप के लेख का
शायद किसी रेगिस्तान के
रेत के एक कण के माणिद भी नहीं हूं मैं
कोई बताए मुझे
मैं क्या हूं मैं क्या हूं मैं क्या हूं
" apne aap se shee prshan kiya hai, or ye prashan sbhee ke mun mey ubhrta hoga.... magar jvab shayad ...." aapke lekh ka intjar rhega..
Regards
बड़े दिन बाद दर्शन हुए मित्र, हृदय को जैसे धड़कन मिल गयी!
लिखते रहे हम तो यही कहेंगे जी ...
शायद किसी रेगिस्तान के
रेत के एक कण के माणिद भी नहीं हूं मैं
कोई बताए मुझे
मैं क्या हूं मैं क्या हूं मैं क्या हूं.
Bahut badhiya rachana . bhai nirantar jari rahe. dhanyawad.
sahi likha hai...blogging bhi ek nasha hai --
शायद किसी रेगिस्तान के
रेत के एक कण के माणिद भी नहीं हूं मैं
कोई बताए मुझे
मैं क्या हूं मैं क्या हूं मैं क्या हूं.
is ka uttar to shayad har koi khud mein dhuundh raha hoga...
With the availability of millions of jobs worldwide, its not a hard nut to crack to search a suitable job option. Various tools are now available to make job search in India more feasible and convenient.
Post a Comment