Sunday 9 May 2010

मां तुझे सलाम

सर्वप्रथम आप सभी को मांतृत्‍व दिवस की हार्दिक बधाईं इस उपलक्ष्‍य पर मैं मां के लिए दो शब्‍द आपके सामने प्रस्‍तुत करना चाह रहा हूं आशा है आप सबको पसंद आएंगे

मेरी मां
बूढी है मगर
अभी भी बच्‍चों के लिए
रखती है हौंसला
अपने 40 साल के बेटे को
गोद में उठाने की और
उसे वही लाड प्‍यार करने की
जो करती थी तब
जब वह खुद थी 40 साल की और
बेटा था कुछ ही साल का
मगर क्‍या हुआ
अभी भी उसकी बाजुओं में जान नहीं
लेकिन उसका ये निस्‍वार्थ प्‍यार
है ना उसके साथ

9 comments:

फ़िरदौस ख़ान said...

मां तुझे सलाम...

Urmi said...

बहुत ही ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना! मात्री दिवस पर उम्दा प्रस्तुती!

vijaymaudgill said...

mohan bina bansuri k
maza aa gaya sachi bahut khooob

तदात्मानं सृजाम्यहम् said...

जब भी सोचता हूं मां के बारे में
पूछता हूं खुद से,
उसे भगवान क्यों 
नहीं कहता
कोई कानों में कह जाता है
पागल
भगवान कहीं मां बन सकता है।

Akshitaa (Pakhi) said...

माँ के बारे में आपने कित्ती प्यारी कविता लिखी...बधाई.

______________
पाखी की दुनिया में- 'जब अख़बार में हुई पाखी की चर्चा'

kshama said...

Maa jaisa doosara karishma qudrat bana nahi payi..!
"Simte lamhe pe" zaroor padhen...Maataaonka ek roop yah bhi".

असलम ख़ान said...

nice

कृषि समाधान said...

शुभकामनायें आपको सुन्दर प्रयासों के लिये....
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सादर

डॉ. चन्द्रजीत सिंह
lifemazedar.blogspot.com
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कृपया इन ब्लॉगों को Mozila Firefox ब्राऊज़र के ज़रिये पढें...

संजय भास्‍कर said...

बहुत से गहरे एहसास लिए है आपकी रचना ...