Tuesday 11 August 2009

अंधा प्‍यार या अंधा इंसान


एक अंधा लडका सभी लोगों से बहुत घृणा करता था। वह किसी से बात करना भी मुनासिब नहीं समझता था। लेकिन वह लडका एक लडकी से बेइंत्‍हा प्‍यार करता था और उसके बिना रह भी नहीं सकता था। दोनों में बहुत सारी प्‍यार भरी बातें होती थीं। लडकी भी बेइंत्‍हां प्‍यार करती थी उस लडके को। एक दिन वह लडका लडकी से बातें कर रहा था, और बोला कि दोस्‍त मैं देख नहीं सकता, अगर मैं देखता तो बिल्‍कुल तुमही से शादी करता। एक दिन एक भद्र पुरुष ने अपनी आंखें उसी अंधे लडके को दान कर दी। फिर वह नई आंखों से दुनिया को देखने लगा। जब वह उस लडकी से मिला जिसे वह सबसे ज्‍यादा प्‍यार करता था तो देखा कि वह लडकी भी अंधी है। अब उस लडकी ने पूछा, कि अब तुम दुनिया को देखने लगे हो, क्‍या अब तुम मुझसे शादी करोगे। अब लडके के अंदर दुनिया में फिर से देख पाने का घमंड आ गया था, तो उसने स्‍वार्थपूर्ण तरीके से कहा, नहीं। मैं, तुमसे शादी नहीं कर सकता। लडकी ने बहुत ही प्‍यार के साथ उसे जबाव दिया कोई बात नहीं। मेरी बात का बुरा मत मानना। लेकिन मेरी तुमसे एक विनती है, एक अरदास है, लडका बोला, क्‍या । लडकी बोली, मेरी आंखों को हिफाजत से रखना। (अत: कोई भी निर्णय लेने से पहले अपने अतीत में झांककर देखो, मत भूलो मत भूलो )

16 comments:

अविनाश वाचस्पति said...

मन को गहराई तक छूने वाला प्रसंग।

Dr. Amar Jyoti said...

मार्मिक!

vandana gupta said...

ohhhhhh...............bahut hi hridaysparshi.......dil ko andar tak jhakjhor gayi.

ओम आर्य said...

aatma ko chhookar gayi aapaki kawita
atisundar rachana aap aise hi likhate rahe bhagwan aapake lekhani ko takat de........

M VERMA said...

maarmik parasang

Anonymous said...

प्यार अँधा नहीं परन्तु इसके चक्कर में लोग अंधे हो जाते है जब खुद की बुद्धि भी काम करना बंद कर देती है . बढ़िया पोस्ट के लिए आभार.

Rajeysha said...

Shaayad sacche premi pyaar me andhe nahi hotay. Kaam-vasna prerit rishta andhe-pan ka karan hai. Prem ki timtimaati lo se 2 dil hi nahi, sara jahan roshan ho jata hai.

Udan Tashtari said...

यही कहानी किसी और रुप में पढ़ी थी..बहुत सुन्दर!!

mehek said...

bahut hi marmik katha.sunder bhavpurn.

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत मार्मिक।

BrijmohanShrivastava said...

मोहन जी छोटी किन्तु मार्मिक ह्रदयस्पर्शी रचना के लिए हार्दिक बधाई

Urmi said...

मोहन जी आपने बहुत सुंदर कहानी लिखा है जो दिल को छू गई! सच में प्यार अँधा ही होता है और लोग बड़े स्वार्थी हो जाते हैं! कहानी का अंत पड़कर तो मेरी ऑंखें भर आई! प्यार अगर इतना ही करता था तो उस लड़के को कभी ये नहीं देखना चाहिए था कि वो लड़की अंधी है और किसलिए ये समझने की भी कोशिश नहीं की! लड़की दरअसल उस लड़के से बेहद प्यार करती थी पर लड़का सोचा की सिर्फ़ वही दिल ओ जान से उस लड़की से प्यार करता है !बहुत बढ़िया लगा!

श्यामल सुमन said...

कौन है अंधा इस दुनिया में कहना मुश्किल काम।
बोध कथा की छोटी रचना बेहतर है पैगाम।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

Akanksha Yadav said...

Bahut sundar Prasang...kai bar-bar chhoti-2 baten bhi imp. ho jati hain.

"वन्देमातरम और मुस्लिम समाज" को देखें "शब्द-शिखर" की निगाह से...

Yogesh Verma Swapn said...

kisi aur roop men padhi thi, bahut achcha laga ye shikshaprad prasang padhkar. dhanyawaad.

pritima vats said...

कितनों की आंखें चली गई,पर प्यार फिर भी अंधा है।
बहुत अच्छा पोस्ट है।
धन्यवाद,