Thursday 26 February 2009

तेरे खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे

(फोटो पर क्लिक करके बडा कर सकते हैं जी)
आप पढ रहे हैं 'राजेन्‍द्र नाथ रहबर जी' की एक गजल खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे

17 comments:

अमिताभ मीत said...

ये नज़्म न जाने कितनी बार पढ़ी है. आज फिर पढ़ी तो उतनी ही अच्छी लगी .... शुक्रिया.

शायदा said...

ye tumne achha nahi kiya mohan...

संगीता पुरी said...

आपके माध्‍यम से बहुत सुंदर रचना पढने को मिली ...आभार ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

शब्द सरल सीधे सच्चे हैं, रचना बेहद सुन्दर है।
ऐसा लगता है लोटे में, भरा विराट समन्दर है।।

ताऊ रामपुरिया said...

लाजवाब.

रामराम.

राज भाटिय़ा said...

अरे बाबा किसी दुशमन के हाथ लग गये तो... वो ब्लेक मेल करे गा, जाओ जल्दी से ऊठा लाओ, ओर बीबी के सपूर्द कर दो वहां सुरक्क्षित रहेगे..:)
बहुत ही सुंदर ओर लाजवाब रचना
धन्यवाद

अनिल कान्त said...

padhvaane ke liye dil se shukriya

सुशील छौक्कर said...

बेहतरीन रचना पढवाने के लिए शुक्रिया।

रंजू भाटिया said...

बहुत सुन्दर है यह इसको पढ़वाने के लिए शुक्रिया

Science Bloggers Association said...

क्‍या बात है, मेरी पसंदीदा गजल पढवाने के लिए आभार।

seema gupta said...

बेहतरीन रचना पढवाने के लिए शुक्रिया।

Regards

डॉ .अनुराग said...

जगजीत की आवाज में जैसे जी उठी है ये नज़्म...

Alpana Verma said...

देर से पहुंची ..इस के लिए माफ़ी मोहन जी.
यह नज़्म मुझे भी बहुत पसंद है.
आज आप ने एक बार फिर से बता दी.शुक्रिया.

योगेन्द्र मौदगिल said...

रहबर साहब की बेहतरीन रचना है ये...... मोहन जी इस प्रस्तुति के लिये विशिष्ट बधाई...

vijay kumar sappatti said...

mohan ji

sorry for late arrival , i was on tour.

ye meri sabse manpasand gazal hai .. jagjit ji makhmali awaaz ne ise chaar chand laga diye hai ..

iski prastuti ke liye badhai ..

main bhi kuch likha hai , jarur padhiyenga pls : www.poemsofvijay.blogspot.com

vandana gupta said...

kya khoob gazal padhwayi hai aapne mohan ji.
aaj pahli baar aapka blog dekha hai aur dil uska murid ho gaya hai.

Anonymous said...

मोहन जी अक्सर इस गजल को सुना था, जगजीत सिंह की आवाज में। आज पूरी पढ़कर जैसे खुद ही को याद किया। धन्यवाद बेहतरीन रचना पढ़वाने के लिए। वॉलपेपर भी बहुत बेहतरीन है। हितेन्द्र शर्मा