अरे बाबा किसी दुशमन के हाथ लग गये तो... वो ब्लेक मेल करे गा, जाओ जल्दी से ऊठा लाओ, ओर बीबी के सपूर्द कर दो वहां सुरक्क्षित रहेगे..:) बहुत ही सुंदर ओर लाजवाब रचना धन्यवाद
मोहन जी अक्सर इस गजल को सुना था, जगजीत सिंह की आवाज में। आज पूरी पढ़कर जैसे खुद ही को याद किया। धन्यवाद बेहतरीन रचना पढ़वाने के लिए। वॉलपेपर भी बहुत बेहतरीन है। हितेन्द्र शर्मा
17 comments:
ये नज़्म न जाने कितनी बार पढ़ी है. आज फिर पढ़ी तो उतनी ही अच्छी लगी .... शुक्रिया.
ye tumne achha nahi kiya mohan...
आपके माध्यम से बहुत सुंदर रचना पढने को मिली ...आभार ।
शब्द सरल सीधे सच्चे हैं, रचना बेहद सुन्दर है।
ऐसा लगता है लोटे में, भरा विराट समन्दर है।।
लाजवाब.
रामराम.
अरे बाबा किसी दुशमन के हाथ लग गये तो... वो ब्लेक मेल करे गा, जाओ जल्दी से ऊठा लाओ, ओर बीबी के सपूर्द कर दो वहां सुरक्क्षित रहेगे..:)
बहुत ही सुंदर ओर लाजवाब रचना
धन्यवाद
padhvaane ke liye dil se shukriya
बेहतरीन रचना पढवाने के लिए शुक्रिया।
बहुत सुन्दर है यह इसको पढ़वाने के लिए शुक्रिया
क्या बात है, मेरी पसंदीदा गजल पढवाने के लिए आभार।
बेहतरीन रचना पढवाने के लिए शुक्रिया।
Regards
जगजीत की आवाज में जैसे जी उठी है ये नज़्म...
देर से पहुंची ..इस के लिए माफ़ी मोहन जी.
यह नज़्म मुझे भी बहुत पसंद है.
आज आप ने एक बार फिर से बता दी.शुक्रिया.
रहबर साहब की बेहतरीन रचना है ये...... मोहन जी इस प्रस्तुति के लिये विशिष्ट बधाई...
mohan ji
sorry for late arrival , i was on tour.
ye meri sabse manpasand gazal hai .. jagjit ji makhmali awaaz ne ise chaar chand laga diye hai ..
iski prastuti ke liye badhai ..
main bhi kuch likha hai , jarur padhiyenga pls : www.poemsofvijay.blogspot.com
kya khoob gazal padhwayi hai aapne mohan ji.
aaj pahli baar aapka blog dekha hai aur dil uska murid ho gaya hai.
मोहन जी अक्सर इस गजल को सुना था, जगजीत सिंह की आवाज में। आज पूरी पढ़कर जैसे खुद ही को याद किया। धन्यवाद बेहतरीन रचना पढ़वाने के लिए। वॉलपेपर भी बहुत बेहतरीन है। हितेन्द्र शर्मा
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