Saturday 31 January 2009

तिडकन

नमस्‍कार दोस्‍तों सर्वप्रथम आप सभी को बंसतोत्‍सव की हार्दिक बधाई
आज मैं आपको एक कविता पढाता हूं पंजाब की जानी मानी कवियत्री डॉ. पाल कौर जी के सौजन्‍य से। मुझे पूरा यकीन है कि यह कविता आपको जरूर बहुत ही पसंद आएगी। तो पेश है आज की कविता "तिडकन" आपकी खिदमत में . . .



कवि को होती है औरत में
माशूक की तलाश
औरत को होती है आदमी में
कवि की तलाश
तराजू फिर भी बराबर तुलती है
पढाई,कमाई, ऊपर से अलबेली
सुंदर, सुशील
अपनी-अपनी तलाश ले घूमते
टकराते और घट जाती शादी
पलों में ही लेकिन उडने लगती खुशबू
खुरने लगते हैं रंग
सुबह से शाम, काम से काम में
घिसने लगती है वह
आने लगती है उसके कपडों से
कभी सब्जियों, कभी बच्‍चों के पोतडों
और कभी दवायों की बदबू
जिस कीचड में उतरती है वह हर रोज
कंवल की तरह खिल कर निकलता बाहर
कवि पति
डब्‍बे पैक करती भूल जाती है वह धीरे धीरे
उसे चूमकर विदा करना
सजती-संवरती, धोती-नहाती
पढाती, खिलाती भूल जाती है धीरे धीरे
शाम को संवर-संवर कर बैठना
खुरदरे हो जाते हैं हाथ
पकने लगते हैं नक्‍श कहीं
उभरने लगती है झुर्री कोई
थक हार कर सो जाती
बेहोश मारती खर्राटे
बस रह जाती हैं
पत्‍नी, मां
मरने लगती है माशूक धीरे-धीरे
कवि पति रखता अपनी संभाल
साफ-शफाफ उठता
साफ-शफाफ जाता
कविताएं लिखता, श्रोता ढूंढता
सपनों को तिडकना सुनता
निकल जाता बाहर
सरेराह, सरेबाजार
मिल जाती खुशबू ताजा
उदासियां गाता, शब्‍दों के महल उसारता
कविताएं लिखता, कविताएं उचारता
बाहर डू नाट डिस्‍टर्ब की प्‍लेट
कोमल हाथों से निवाला खाता
जी उठता है कवि आशिक
लिखता है कविताएं छपती किताबें
वह गोल-मोल शब्‍दों के समर्पण करता
हर माशूक पर लिखता किताब भर कविताएं
ठोस दीवारें उठाई रखती
कंधों पर छत
तोतले बोलों में देखता कल
परतता बार-बार
कवि पति खुशबुएं ढूंढता
भागता जंगल-जंगल
बारिश, आंधियां माशूक को सौंप
आ छुपता वह घर अंदर बार-बार
पत्‍नी उसकी धीरे-धीरे भूल जाती
उसका कवि होना
कवि पति धीरे धीरे भूल जाता
उसका माशूक होना
-डॉ. पाल कौर

23 comments:

Vinay said...

कौल जी की बहुत ख़ूबसूरत कविता है, पढ़वाने के लिए धन्यवाद!

नीरज गोस्वामी said...

लाजवाब रचना...ज़िन्दगी की तल्ख़ सच्चाईयों को हू बहू बयां करती हुई....शुक्रिया इसे पढ़वाने का मोहन जी...
नीरज

purnima said...

Happy basant panchmi.........
bhut sunder......
Mohan ji

योगेन्द्र मौदगिल said...

यथार्थ उकेरती इस कविता के लिये पाल कौर जी को बधाई... आपको इस प्रस्तुति के साधुवाद..

seema gupta said...

डॉ पाल कौर की कविता के लिए आभार....
Regards

निर्मला कपिला said...

yatharth ke kreeb kavita oadhvane ke liye dhanyvad

Anonymous said...

वास्तव में ही सुंदर रचना है. स्केच भी बढ़िया है. आभार.

डॉ .अनुराग said...

बेहद उम्दा .पंजाब के कई कवि वाकई मुझे कई बार खासा प्रभावित करते है ,शायद उनकी मिटटी में कुछ अलग ही बात है ...स्केच भी लाजवाब है .कहाँ से लिया महेन भाई ?

ताऊ रामपुरिया said...

घणा आभार इस कविता को पढवाने के लिये.

रामराम.

Paul kaur said...

Mohan ji, meri baat itne logon tak pahunchane k liye shukriya. ye kisi kavi ke liya bahut barhe sanman ki baat hai. paul kaur

मोहन वशिष्‍ठ said...

आप सभी का बहुत बहुत धन्‍यवाद इस कविता की सराहना के लिए और लेखक श्रीमती पाल कौर जी का भी मेरे इस ब्‍लाग पर आई और उन्‍होंने कहा भी है आप सभी का धन्‍यवाद देने को। श्रीमती कौर जी ने मेरे इस कार्य की सराहना की इसके लिए मैं उनका आभारी हूं ।

Unknown said...

Mr.Mohan,to read this poem on ur blog is indeed a great job.Thanks for reaching out to everyone with your efforts....thanks a million for making me read which i always long for...Ms.Paul ...No comparisons for what you write.Allah Always bless your writings....

Anwar Qureshi said...

मोहन जी ...नमस्कार ...बहुत दिनों बाद आप के ब्लॉग पर .. आया ...सुकू मिला ...

Anwar Qureshi said...

मोहन जी ...नमस्कार ...बहुत दिनों बाद आप के ब्लॉग पर .. आया ...सुकू मिला ...

Anonymous said...

jeevan ki sachhai bayan karti ,shandaar kavita padhwane keliye shukriya,aur lekhak kavi ko bahut badhai

राज भाटिय़ा said...

मोहन जी आप का धन्यवाद इस सुंदर कविता को हम सब तक पहुचाने के लिये,
ओर डां पाल कॊर जी का भी धन्यवाद इस सुंदर कविता के लिये

ghughutibasuti said...

बहुत सही कविता है। परन्तु कई बार अधिक काम में उलझे पति का कुछ वैसा हाल होता है जो यहाँ कवि की पत्नी का।
घुघूती बासूती

Alpana Verma said...

बहुत ही अच्छी कविता..डॉ. पाल जी की कविता पढ़वाने के लिए मोहन जी आप को धन्यवाद.
उन्हें भी बधाई दिजीयेगा.बसंतपंचमी की शुभकामनायें आप को भी.

राजीव करूणानिधि said...

बहुत ही लाजबाव कविता है. आपने बिल्कुल सही उम्मीद लगाई है मोहन जी. बधाई आपको.

Science Bloggers Association said...

आपको भी बसंत पंचमी को हार्दिक शुभकामनाऍं।

Harish Joshi said...

Happy Basant...

Rang de basanti...

shelley said...

achchhi kavita talkh sachchhai se purn

हरकीरत ' हीर' said...

Mohan ji Pal ji ki kavita acchi lagi sath me kaviyitri ki thodi si jankari ho jati to badhiya tha....!