Sunday 4 January 2009

कैसे निकले कैद से


आज कई दिनों के बाद
आखिर
बादलों की कैद से
हुआ आजाद वो
आते ही बाहर
खिलखिला कर हंस पडा
और
अपनी आजादी का जश्‍न मनाता रहा
मगर उसका यह जश्‍न
नहीं चला ज्‍यादा देर
कुछ ही देर में बादलों ने
फिर से लिया घेर
घबरा कर
डरकर
भाग उठा फिर
हुई खत्‍म आजादी
खत्‍म हुआ जश्‍न
बादलों ने आजादी पर उसकी
पानी दिया फेर
खुश हुए बादल कुछ इस तरह
कि पानी दिया गेर
घबराता हुआ कांपता हुआ
जा पहुंचा वो
बादलों की कैद में
अब सोच रहा है
कैसे निकले वो
बादलों की कैद से

32 comments:

दिगम्बर नासवा said...

बहूत खूबसूरती से कैद किया है चाँद को
अपने ही अंदाज़ मैं मोहन जी
बहुत खूब

Vinay said...

पहेलियों की भीड़ से निकलकर आपने अपनी कविता पेश की बहुत बढ़िया!

अविनाश वाचस्पति said...

बादलों की कैद से तो

निकल ही जाएगा

कभी न कभी

पर फोटो की कैद

से नहीं निकल पाएगा

कभी।

Anonymous said...

bahut khubsurati se suraj/ya chand ki chanchalta aur badalon ka ziddipan bayan hua hai badhai

Unknown said...

bahut khubsurti se kaid kiye hai aapne chand ko!achcha laga!

राज भाटिय़ा said...

मोहन भाई निकला आये गा, जब उस से पहेली बुझो गे तो, बस किसी बहाने की जरुरत है.
बहुत सुंदर कविता कही आप ने .
धन्यवाद

Prakash Badal said...

ये किसने कह दिया कि आपको लिखना नहीं आता। क्या बढ़िया कविता कही है आपने सूरज जो सब को जला डालता है उसे बादल कितनी आसानी से कैद कर देता है और उसकी सारी गर्मी ठंडी पड़ जाती है। वाह वाह मोहन भाई वाह। आपको नए साल की शुभकामनाएं।

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर ! बहुत सरल ! मन को खुश करने वाली कविता !
घुघूती बासूती

नीरज मुसाफ़िर said...

मोहन जी नमस्कार,
अजी बादलों की कैद में ही रहे तो अच्छा है. एकदम मस्त कविता.

seema gupta said...

बादलों की कैद वाह , इसमे आजादी और कैद का जो चित्रण आपने किया है वो सुंदर है, सच कहा आजादी कुछ क्षणों की ही होती है ..और कैद ....

regards

राजीव करूणानिधि said...

वैसे चाँद को बादल के आगोश में रहना अच्छा लगता है, फिर भी गर चाँद आजाद होना चाहता है तो मुश्किल होगी.
नए साल की बधाई.

Alpana Verma said...
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Alpana Verma said...

lagta hai kohre ka asar kavita par bhi pad gaya hai....
[suraj ko chaand samjh rahey hain padhne wale!]

kavita bahut achchee hai...

suraj ke dil ki baat bakhuubi pesh kar rahi hai...

aaj kal Suraj ki yahi mano vyatha hogi....

khubsurat prastuti.

योगेन्द्र मौदगिल said...

मोहन जी इसे कहते हैं त्वरित संप्रेषण....
आपको बधाई...

Science Bloggers Association said...

इस खूबसूरत कैद में कौन न आना चाहे।

सुन्‍दर कविता, बधाई।

Udan Tashtari said...

इसी जद्दोजहद में सभी लगे हैं...कैद तो कैद ही है चाहे कितनी भी खूबसूरत हो.

सुन्दर भाव,

नवनर्ष की मंगलकामनाऐं.

नियमित लिखते रहें.

बवाल said...

बेहद ख़ूबसूरत जज़्बात मोहन साहब.

योगेन्द्र मौदगिल said...

आपकी कविता के प्रभाव से पानीपत खिला-खिला रहा.......

पूनम श्रीवास्तव said...

Mohan ji,
Bahut achchhee kavita..bahut sundar foto.....donon ke liye hardik badhai.

Smart Indian said...

बहुत सुंदर!

Ajay Garg said...

aap to kehte hain ki likhna nahin aata... matlab jhoot bolte hain...

दिल का दर्द said...

मोहनजी acidity तो ट्रान्सफर होकर वहां से यहाँ आ गयी है. और आपकी कविता बहुत सुंदर है

नही करता मैं तुमको याद क्योंकि याद करने के लिए पड़ता है भूल जाना. बिल्कुल ठीक कहा है. मेरे भी दिल को छू गया.

नीरज गोस्वामी said...

बादलों को कितनी देर ये ग़लत फ़हमी रहेंगे की वे सूरज को ढांप कर रख सकते हैं...सूरज को तो एक न एक पल बाहर आना ही होता है...अच्छी रचना है आपकी...बधाई.
नीरज

vijay kumar sappatti said...

mohan ji , aapne itni sundar sundar baaten likhi hai ,aur mausam ka bhi asar hai .. kavita ne dil ko choo liya hai .. saari panktiyan achai hai ..

is amulay rachan ke liye badhai ..

maine kuch nai nazme likhi hai ,dekhiyenga jarur.


vijay
Pls visit my blog for new poems:
http://poemsofvijay.blogspot.com/

vijay kumar sappatti said...
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shelley said...

mohan ji achchhi kavita hai. kuch kaid achchhe hote hain

Atul Sharma said...

बहुत सुंदर रचना ।

Atul Sharma said...

श्रद्वेय ब्रजमोहन जी, बहुत सुंदर रचना ।
गुना नाम सुन कर मुझे बरसों पहले बिछडे. एक मित्र ‘राजेन्‍द्र कुमार चतुर्वेदी’ जो किसी समय सी आर पी एफ में कार्यरत थे और बाद में मध्‍य प्रदेश पुलिस में सब इंस्‍पेक्‍टर भर्ती हो गए थे की याद हो आई । यदि किसी प्रकार आपके माध्‍यम से उनसे मुलाकात हो जाए तो आपका आभारी होउगां ।

निर्मला कपिला said...

मोहन जी यूँ तो आप पर कमेन्टस की जरूरत नहीं आप तो स्र्वत्र विद्यमान हैऔरेअपने भक्तों के मन को जानते हैं फिर भी लोगों को बताना चाह्ती हौऔं कि आपके भाव बहुत सुन्दर हं बधाई

Vinay said...

आपका सहयोग चाहूँगा कि मेरे नये ब्लाग के बारे में आपके मित्र भी जाने,

ब्लागिंग या अंतरजाल तकनीक से सम्बंधित कोई प्रश्न है अवश्य अवगत करायें
तकनीक दृष्टा/Tech Prevue

roychouhan said...

very good

Anonymous said...

अच्ठा है महाराज। आपके प्रयास की सराहना करनी होगी। सच में बढ़िया है।
लेकिन वाकई में तुम कुछ हो किसी-किसी के लिए, बहुत कुछ हो कुछेक के लिए और सब कुछ हो किसी एक के लिए।