Saturday, 29 November 2008
मैग्जीन का ब्लाग
Tuesday, 25 November 2008
फूल की दास्तां
मनभावन पर चंचल
ख्वाब लिए नैनों में अपने
होगा सवेरा प्रभु के चरणों मे...
मोक्ष उसे मिल जाएगा
जीवन सफल हो जाएगा उसका
Saturday, 15 November 2008
टूट गया याराना
आया है याद वो गांव का खंडहर पुराना
जहां होती थी हम दोनों की रोज मुलाकातें
कुछ मीठी सी नोंक झोंक और कुछ प्यारी सी बातें
वो खंडहर, हमारी अनमोल चाहत का था महल
ना जाने किसकी लगी हमारे प्यार को नजर
एक पल में जुदा कर गया वक्त मुझसे मेरे यार को
कुछ इस कदर उठा तूफान जमाने की बंदिशों का
कि फना हो गई हमारी मोहब्बत की कहानी
रुका तूफान तो निगाहों ने ढूंढा मेरे प्यार को
देखा कि वो पुराना खंडहर ढह चुका था
और उसके साथ ही दफन हो गया
वो हमारे प्यार का महल
Wednesday, 12 November 2008
मेरा साया
हर समय हर पल
रहता है साथ
मेरा साया
सुख में दुख में
आंधी तूफान में
मेरे साथ है
मेरा साया
कभी थकता नहीं कभी रुकता नहीं
चलता ही जाता है
साथ मेरे
मेरा साया
सूखी नदी में पैर फिसल गया
मुझे संभाला खुद गिर गया
मेरा साया
पर्वत ने रोका रास्ता मेरा
न रुकने दिया चलाता रहा मुझे
मेरा साया
दोस्तों ने छोड दिया साथ
न होने दिया कभी उदास
हंसता रहा साथ मेरे
मेरा साया
Tuesday, 11 November 2008
मैं क्या हूं...
बहुत दिनों से ब्लाग से मेरा संपर्क नहीं हो रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे शरीर के किसी अंग ने काम करना ही बंद कर दिया। बहुत तकलीफ होती थी। जब सोचता था कि इतने दिनों तक की जुदाई आखिर कैसे सही है मैंने। बताने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। आज कुछ लिखने का काफी मन बन गया और सोचा चाहे आज कुछ भी हो जाए एक पोस्ट तो लिखूंगा ही लेकिन जैसे ही मेल चैक की तो उसमें बहुत ही महान ब्लागरों की मेल देखी जिसमें लिखा था कि आगे भी बढो। पढकर एकबारगी तो सोचने पर मजबूर हो गया कि ब्लाग के पहले मैं क्या था और आज महान महान विद्वान मुझे आशीर्वाद दे रहे हैं और मुझे आगे बढने के लिए कुछ लिखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। मेरी खुशी का ठिकाना ही ना रहा क्योंकि अब मैं अकेला नहीं हूं। आज ना लिख पाने के लिए क्षमा चाहता हूं लेकिन कल से अवश्य इस ब्लाग को नियमित कर लूंगा। बस आप सभी का यही आशीर्वाद की कामना करता हूं। बस ये चार लाईने जैसे ही जहन में आई तो इन्हीं चार लाईनों को सांझा कर रहा हूं ...
सोचता हूं आज मैं
क्या था कुछ दिनों पहले मैं
शायद किसी कवि की रचना
के किसी शब्द की मात्रा का
सौंवा भाग भी नहीं हूं मैं
शायद किसी रेगिस्तान के
रेत के एक कण के माणिद भी नहीं हूं मैं
कोई बताए मुझे
मैं क्या हूं मैं क्या हूं मैं क्या हूं