उफ ये दुनिया ये मतलब की दुनिया
ये चेहरों पे चेहरे लगाती है दुनिया
ये भोले ये मासूम सुंदर से चेहरे
मगर दिल में इनके हैं काले अंधेरे
मतलब के रिश्ते बनाती है दुनिया
फिर तन्हा एक दिन छोड जाती है दुनिया
कभी दोस्त बनके हंसाती है दुनिया
कभी बनके दुश्मन रुलाती है दुनिया
कभी प्यार से लगाकर गले
पीछे से खंजर चुभोती है दुनिया
कभी खूबसूरत चेहरे पे न जाना
दिल देखकर फिर दिल को लगाना
इंसान को यही सिखाती है दुनिया
है दौलत यहां हर रिश्ते से ऊपर
दौलत के लिए अपनों का खून
बहाती है दुनिया
ऊफ ये दुनिया ये मतलब की दुनिया
-रजनी वशिष्ठ
(नोट - यह कविता मेरी पत्नी द्वारा लिखित है । )
Tuesday, 20 October 2009
Thursday, 15 October 2009
दीपावली की शुभकामनाएं
दीपावली पर्व की आप सभी को समस्त परिवार सहित हार्दिक शुभकामनाएं वैभव लक्ष्मी आप सभी पर कृपा बरसाएं। लक्ष्मी माता अपना आर्शिवाद बरसाएं।
दूर कहीं गगन के तले
एक दीप की लौ नजर आई
जाकर पास देखा उसके
दीपक जल रहा था
बिना तेल के
मैंने पूछा दीपक से
तेल नहीं तो कैसे जल रहे हो तुम
तो दीपक ने जवाब दिया
कि
जिस तरह तुम इंसान
बिना तेल और बाती के
एक दूसरे से जल रहे हो
वैसे ही मैं भी
तुम इंसानों को देख कर
जल रहा हूं
छोड कर आपस का वैर
चलो जलाते हैं हम भी प्यार का दीपक
प्रेम को बना दीपक की बाती
इंसानियत से लो तेल का काम
फैलेगा शांति का प्रकाश चारो ओर
होंगे खुशहाल सभी
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