Sunday, 14 November 2010

माँ की गोद

मैं जब मर जाऊं
मुझे मत दफनाना
न ही मुझे जलाना
बस मुझे तो भेज देना
मेरी माँ कि गोद में
जिसके लिए तरसा हूँ मैं
तडपा हूँ मैं
उसकी गोद में
बस
सिर रखकर सोना चाहता हूँ
यूँ ही सदियों तक
न कोई जगाना मुझे
न कोई आवाज देना 
मैं खो जाना चाहता हूँ
माँ की गोद में

4 comments:

अन्तर सोहिल said...

बेहतरीन
बहुत अच्छी लगी जी यह रचना
हमें भी पढवाने के लिये धन्यवाद

प्रणाम

दिगम्बर नासवा said...

आपने उस गीत की याद करा दी ...
मेरी आवाज़ सुनो ... प्यार का राग सुनो ..

Urmi said...

सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने! बधाई!

Sumit Pratap Singh said...

बढ़िया है हुज़ूर...