आखिर आज पुकार ही लिया
मुझे उसने
मेरे नाम से
ले ही लिया आखिर
मेरा नाम
अपनी जुबान पर
लेकिन क्यूँ
पता नहीं क्यूँ
बस पता है तो
ये ही कि
मेरा नाम आज आखिर
उसने लिया है
अपनी जुबान पर
तड़पता था मैं
सुनने के लिए
उसके मुहँ से अपना नाम
13 comments:
आखिर आज पुकार ही लिया
देर आयद दुरूस्त आयद
achchi kavita hai...
achchi kavita hai...
आखिर आज पुकार ही लिया
मुझे उसने
मेरे नाम से
ले ही लिया आखिर
मेरा नाम
" accha hua..."
regards
आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें ! भगवान श्री गणेश आपको एवं आपके परिवार को सुख-स्मृद्धि प्रदान करें !
बहुत सुन्दर !
प्यार में लिपटी कविता । गणेश जी आपके प्यार को परवान चढायें ।
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मोहन जी,
इंतज़ार का अपना अलग ही मज़ा होता है ।
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बहुत खूब...आखिर इन्तेज़ार की घड़ियाँ खतम हुईं...
नीरज
चलिए प्रतीक्षा ख़त्म ... तड़प ख़त्म ... उन्होने आप का नाम तो लिया .... बहुत खूब ...
BAHUT ACHHA LIKHA HAI AAPNE.... AISE HI AAPKA LEKHAN JARI RAHE SHUBHKAMNAYEN
मोहन वशिष्ठ जी
क्या बात है …
तड़पता था मैं
सुनने के लिए
उसके मुंह से अपना नाम
:) देर लगी आने में उनको , लेकिन शुक्र है आए तो …
नाम ले तो लिया न आख़िर !
अब ख़ुश हो जाइए …
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सुन्दर !
wahwa...mohan pyare wah....
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