Friday, 10 September 2010

तड़पन

आखिर आज पुकार ही लिया
मुझे उसने
मेरे नाम से
ले ही लिया आखिर
मेरा नाम
अपनी जुबान पर
लेकिन क्यूँ
पता नहीं क्यूँ
बस पता है तो
ये ही कि
मेरा नाम आज आखिर
उसने लिया है
अपनी जुबान पर
तड़पता था मैं
सुनने के लिए
उसके मुहँ से अपना नाम 


13 comments:

Anonymous said...

आखिर आज पुकार ही लिया
देर आयद दुरूस्त आयद

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) said...

achchi kavita hai...

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) said...

achchi kavita hai...

seema gupta said...

आखिर आज पुकार ही लिया
मुझे उसने
मेरे नाम से
ले ही लिया आखिर
मेरा नाम
" accha hua..."

regards

Urmi said...

आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें ! भगवान श्री गणेश आपको एवं आपके परिवार को सुख-स्मृद्धि प्रदान करें !
बहुत सुन्दर !

Asha Joglekar said...

प्यार में लिपटी कविता । गणेश जी आपके प्यार को परवान चढायें ।

ZEAL said...

.
मोहन जी,
इंतज़ार का अपना अलग ही मज़ा होता है ।
.

नीरज गोस्वामी said...

बहुत खूब...आखिर इन्तेज़ार की घड़ियाँ खतम हुईं...
नीरज

दिगम्बर नासवा said...

चलिए प्रतीक्षा ख़त्म ... तड़प ख़त्म ... उन्होने आप का नाम तो लिया .... बहुत खूब ...

डॉ. मोनिका शर्मा said...

BAHUT ACHHA LIKHA HAI AAPNE.... AISE HI AAPKA LEKHAN JARI RAHE SHUBHKAMNAYEN

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

मोहन वशिष्‍ठ जी

क्या बात है …
तड़पता था मैं
सुनने के लिए
उसके मुंह से अपना नाम


:) देर लगी आने में उनको , लेकिन शुक्र है आए तो …
नाम ले तो लिया न आख़िर !
अब ख़ुश हो जाइए …

शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार

Priyanka Soni said...

बहुत सुन्दर !

योगेन्द्र मौदगिल said...

wahwa...mohan pyare wah....