जाने कैसा कैसा इसमे इतिहास छुपा है
कभी जी भर रोया तो कभी खूब हंसा है
भला किया है जन जन का इसने
बुरा ख़ुद बहुत चुप सहा है इसने
इस गौरवमयी भारत को मेरा प्रणाम
देखो इसमें बसती हम सब की है जान
कितनी दफा दुश्मनों ने चाहा इसे मिटाना
छीन आजादी इसको मिटटी में मिलाना
लेकिन इस धरती ने जन्मे सपूत महान
मिटा दिया दुश्मनों को देके अपनी जान
क्यूं ना ऐसे वतन पे हो हमको गुमां
प्यारा अपना भारत , ये भारत महानदेखो इसमें बसती हम सब की है जान
40 comments:
अहा, मोहन जी बहुत सौन्दर्य वर्धन हुआ है आपके ब्लॉग में बधाई, देशभक्ति का जज़्बा भी बहुत दिखा कविता में!
---आपका हार्दिक स्वागत है
गुलाबी कोंपलें
sundar bhavon se bhari racna
सुंदर रचना लिखी है आपने मोहन जी
बहुत सुन्दर और लाजवाब रचना.
रामराम.
भारत देश के प्रति सम्मान और प्रेम प्रकट करती सुंदर रचना..."
Regards
सुन्दर रचना.
mohan ji,
yaad dila diya ki 26 january aane wali hai.
bahut sunder rachana mohan ji
sahi kaha is bharat par hame guman hai,ek behad sundar kavita badhai.
DESH BHAKTI SE OTPROT RACHANA ... BAHOT KHUB DHERO BADHAI AAPKO ..
ARSH
देशभक्ति की भावना से लबालब है यह रचना.....बधाई।
खुला मोहन का मन और छू लिया हमारा भी मन
.
मनभावन अभिव्यक्ति.
बधाई.
भाई शेर ठीक कर लें. दुष्यंत कुमार ने यूँ कहा था
कैसे आकाश में सूराख हो नहीं सकता
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो !
शुभाकांक्षी
द्विजेन्द्र द्विज
आदरणीय द्विजेन्द्र द्विज जी
सबसे पहले तो आपका आभार कि आपने मुझे बताया कि ये शेर गलत है और ठीक भी बताया इसके लिए मैं आपका आभारी हूं मैं कल सबसे पहले यही काम करूंगा
Bhot badhiya...."JAI HIND"
देशभक्ति के भावों भरी यह कविता सामायिक है और अच्छी भी.
सुभाष चन्द्र बोस जी के जनादीन को बधाई और २६ जनवरी गणतंत्र दिवस को अग्रिम शुभकामनायें
ब्लॉग का रूप तो संवर गया!क्या बात है!
सम्मान और प्रेम से भरी रचना
अनिल कान्त
मेरा अपना जहान
बहुत अच्छा लगा, मोहन भाई आज सच मै मेरा मन जीत लिया तुम ने.
धन्यवाद
फिर तो वतन पर नाज कैसे ना हो।
बहुत सुंदर रचना।
बधाई।
ganntantra divas ki haardik shubhkamnaaye
सुंदर रचना. बहुत बढ़िया लिखा आपने. भारत माता कि जय..
आपकी रचनाये पढ़ी बहोत ही अच्छी है कहना पड़ेगा हमारी रचना से कही आगे है ...
बदलाव अगर आपके हातों हो तो बहोत ही अच्छी बात है ये ...
आपकी टिपण्णी के लिए बहोत बहोत धन्यवाद् ।
कृष्णा
गौरमयी भारत को मेरा भी प्रणाम .....
सुंदर पंक्तियाँ ......
आपको भी गणतंत्र दिवस की शुभकामनाये :)
बहुत बढ़िया कविता है मोहन जी बधाई
बहुत बढिया कविता बधाई हो
bahot achha laga!Mohan ka man khul gaya,lagta hai!!
" mujhe likhne ka shauk hai, lekin likhna nahi aata" yah bhulawa kiske liye hai?? khud ke liye ya padhne waalon ke liye??? sach hai phalon se ladi daliyan sadaiv jhuki rahti hain....
Gantantra Divas ki bahut bahut subhkamnayen....
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
गणतंत्र दिवस की आपको हार्दिक शुभकामना !!
अरे मोहन बाबू आप को एक पत्थर तो दिया था कल मेल से , अब उसे उछालो तबीयत से यारो ओर बर्फ़ ही बर्फ़ कर दो अपने ब्लांग पर
आपके ब्लॉग पर आकर सुखद अनुभूति हुयी.इस गणतंत्र दिवस पर यह हार्दिक शुभकामना और विश्वास कि आपकी सृजनधर्मिता यूँ ही नित आगे बढती रहे. इस पर्व पर "शब्द शिखर'' पर मेरे आलेख "लोक चेतना में स्वाधीनता की लय'' का अवलोकन करें और यदि पसंद आये तो दो शब्दों की अपेक्षा.....!!!
अय वतन मेरे वतन...अय वतन मेरे वतन....रेज़े-अल्मास के तेरे खशो-खाशाक में है....हड्डियाँ अपने बुजुर्गों की तेरी ख़ाक में हैं...तुझसे मुंह मोड़ के यूँ अपना दिखाएँगे कहाँ.....घर जो चोदेंगे तो फ़िर छावं ये पायेंगे कहाँ(शायर का नाम याद नहीं आ रहा)
apne desh ke prati
aapki shraddha ko
naman karta hooN.....!
---MUFLIS---
aaj ke yuvaaon me deshbakti ki bhavna aur ashavadi soch dekh kar man pulkit ho jata hai bahut hi bdiya racvna hai bdhaai
Shukriya Mohan ji,
veshbhoosha se farq padta hai.
[wah last month ki thi..yah kuchh mahine purani hai.]
Bouth ummmda Post Yaar
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Bahut Khub..!!
गाँधी जी की पुण्य-तिथि पर मेरी कविता "हे राम" का "शब्द सृजन की ओर" पर अवलोकन करें !आपके दो शब्द मुझे शक्ति देंगे !!!
बहुत खूब लिखा आपने, मन को छूं गया
sundar rachna....
mohan ji
aapne itna achai kavita likha kar hamare deshbhakti ke jazbe ko aur badhaya hai ..
aapki lekhni ko naman..
aapka
vijay
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