Friday, 23 January 2009

क्‍यूं ना ऐसे वतन पे हो हमको गुमां

प्यारा अपना भारत , ये भारत महान
देखो इसमें बसती हम सब की है जान

जाने कैसा कैसा इसमे इतिहास छुपा है
कभी जी भर रोया तो कभी खूब हंसा है
भला किया है जन जन का इसने
बुरा ख़ुद बहुत चुप सहा है इसने


इस गौरवमयी भारत को मेरा प्रणाम
प्यारा अपना भारत , ये भारत महान
देखो इसमें बसती हम सब की है जान
कितनी दफा दुश्मनों ने चाहा इसे मिटाना
छीन आजादी इसको मिटटी में मिलाना
लेकिन इस धरती ने जन्मे सपूत महान
मिटा दिया दुश्मनों को देके अपनी जान
क्‍यूं ना ऐसे वतन पे हो हमको गुमां
प्यारा अपना भारत , ये भारत महान
देखो इसमें बसती हम सब की है जान

40 comments:

Vinay said...

अहा, मोहन जी बहुत सौन्दर्य वर्धन हुआ है आपके ब्लॉग में बधाई, देशभक्ति का जज़्बा भी बहुत दिखा कविता में!

---आपका हार्दिक स्वागत है
गुलाबी कोंपलें

शोभा said...

sundar bhavon se bhari racna

रंजू भाटिया said...

सुंदर रचना लिखी है आपने मोहन जी

Anonymous said...
This comment has been removed by the author.
ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सुन्दर और लाजवाब रचना.

रामराम.

Anonymous said...

भारत देश के प्रति सम्मान और प्रेम प्रकट करती सुंदर रचना..."

Regards

Udan Tashtari said...

सुन्दर रचना.

नीरज मुसाफ़िर said...

mohan ji,
yaad dila diya ki 26 january aane wali hai.

makrand said...

bahut sunder rachana mohan ji

Anonymous said...

sahi kaha is bharat par hame guman hai,ek behad sundar kavita badhai.

"अर्श" said...

DESH BHAKTI SE OTPROT RACHANA ... BAHOT KHUB DHERO BADHAI AAPKO ..


ARSH

संगीता पुरी said...

देशभक्ति की भावना से लबालब है यह रचना.....बधाई।

द्विजेन्द्र ‘द्विज’ said...

खुला मोहन का मन और छू लिया हमारा भी मन
.
मनभावन अभिव्यक्ति.
बधाई.

भाई शेर ठीक कर लें. दुष्यंत कुमार ने यूँ कहा था

कैसे आकाश में सूराख हो नहीं सकता


एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो !

शुभाकांक्षी

द्विजेन्द्र द्विज

मोहन वशिष्‍ठ said...

आदरणीय द्विजेन्द्र द्विज जी

सबसे पहले तो आपका आभार कि आपने मुझे बताया कि ये शेर गलत है और ठीक भी बताया इसके लिए मैं आपका आभारी हूं मैं कल सबसे पहले यही काम करूंगा

हरकीरत ' हीर' said...

Bhot badhiya...."JAI HIND"

Alpana Verma said...

देशभक्ति के भावों भरी यह कविता सामायिक है और अच्छी भी.
सुभाष चन्द्र बोस जी के जनादीन को बधाई और २६ जनवरी गणतंत्र दिवस को अग्रिम शुभकामनायें


ब्लॉग का रूप तो संवर गया!क्या बात है!

अनिल कान्त said...

सम्मान और प्रेम से भरी रचना

अनिल कान्त
मेरा अपना जहान

राज भाटिय़ा said...

बहुत अच्छा लगा, मोहन भाई आज सच मै मेरा मन जीत लिया तुम ने.
धन्यवाद

गोविन्द K. प्रजापत "काका" बानसी said...

फिर तो वतन पर नाज कैसे ना हो।

बहुत सुंदर रचना।

बधाई।

Arvind Gaurav said...

ganntantra divas ki haardik shubhkamnaaye

अवाम said...

सुंदर रचना. बहुत बढ़िया लिखा आपने. भारत माता कि जय..

Unknown said...

आपकी रचनाये पढ़ी बहोत ही अच्छी है कहना पड़ेगा हमारी रचना से कही आगे है ...
बदलाव अगर आपके हातों हो तो बहोत ही अच्छी बात है ये ...
आपकी टिपण्णी के लिए बहोत बहोत धन्यवाद् ।

कृष्णा

Nipun Pandey said...

गौरमयी भारत को मेरा भी प्रणाम .....
सुंदर पंक्तियाँ ......
आपको भी गणतंत्र दिवस की शुभकामनाये :)

योगेन्द्र मौदगिल said...

बहुत बढ़िया कविता है मोहन जी बधाई

Anonymous said...

बहुत बढिया कविता बधाई हो

akshaya gawarikar said...

bahot achha laga!Mohan ka man khul gaya,lagta hai!!

प्रताप नारायण सिंह (Pratap Narayan Singh) said...

" mujhe likhne ka shauk hai, lekin likhna nahi aata" yah bhulawa kiske liye hai?? khud ke liye ya padhne waalon ke liye??? sach hai phalon se ladi daliyan sadaiv jhuki rahti hain....

Gantantra Divas ki bahut bahut subhkamnayen....

Smart Indian said...

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

राज भाटिय़ा said...

गणतंत्र दिवस की आपको हार्दिक शुभकामना !!

राज भाटिय़ा said...

अरे मोहन बाबू आप को एक पत्थर तो दिया था कल मेल से , अब उसे उछालो तबीयत से यारो ओर बर्फ़ ही बर्फ़ कर दो अपने ब्लांग पर

Akanksha Yadav said...

आपके ब्लॉग पर आकर सुखद अनुभूति हुयी.इस गणतंत्र दिवस पर यह हार्दिक शुभकामना और विश्वास कि आपकी सृजनधर्मिता यूँ ही नित आगे बढती रहे. इस पर्व पर "शब्द शिखर'' पर मेरे आलेख "लोक चेतना में स्वाधीनता की लय'' का अवलोकन करें और यदि पसंद आये तो दो शब्दों की अपेक्षा.....!!!

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

अय वतन मेरे वतन...अय वतन मेरे वतन....रेज़े-अल्मास के तेरे खशो-खाशाक में है....हड्डियाँ अपने बुजुर्गों की तेरी ख़ाक में हैं...तुझसे मुंह मोड़ के यूँ अपना दिखाएँगे कहाँ.....घर जो चोदेंगे तो फ़िर छावं ये पायेंगे कहाँ(शायर का नाम याद नहीं आ रहा)

daanish said...

apne desh ke prati
aapki shraddha ko
naman karta hooN.....!

---MUFLIS---

निर्मला कपिला said...

aaj ke yuvaaon me deshbakti ki bhavna aur ashavadi soch dekh kar man pulkit ho jata hai bahut hi bdiya racvna hai bdhaai

Alpana Verma said...

Shukriya Mohan ji,
veshbhoosha se farq padta hai.






[wah last month ki thi..yah kuchh mahine purani hai.]

Jimmy said...

Bouth ummmda Post Yaar

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KK Yadav said...

Bahut Khub..!!
गाँधी जी की पुण्य-तिथि पर मेरी कविता "हे राम" का "शब्द सृजन की ओर" पर अवलोकन करें !आपके दो शब्द मुझे शक्ति देंगे !!!

somadri said...

बहुत खूब लिखा आपने, मन को छूं गया

ilesh said...

sundar rachna....

vijay kumar sappatti said...

mohan ji

aapne itna achai kavita likha kar hamare deshbhakti ke jazbe ko aur badhaya hai ..

aapki lekhni ko naman..

aapka
vijay