आज कई दिनों के बाद
आखिर
बादलों की कैद से
हुआ आजाद वो
आते ही बाहर
खिलखिला कर हंस पडा
और
अपनी आजादी का जश्न मनाता रहा
मगर उसका यह जश्न
नहीं चला ज्यादा देर
कुछ ही देर में बादलों ने
फिर से लिया घेर
घबरा कर
डरकर
भाग उठा फिर
हुई खत्म आजादी
खत्म हुआ जश्न
बादलों ने आजादी पर उसकी
पानी दिया फेर
खुश हुए बादल कुछ इस तरह
कि पानी दिया गेर
घबराता हुआ कांपता हुआ
जा पहुंचा वो
बादलों की कैद में
अब सोच रहा है
कैसे निकले वो
बादलों की कैद से
आखिर
बादलों की कैद से
हुआ आजाद वो
आते ही बाहर
खिलखिला कर हंस पडा
और
अपनी आजादी का जश्न मनाता रहा
मगर उसका यह जश्न
नहीं चला ज्यादा देर
कुछ ही देर में बादलों ने
फिर से लिया घेर
घबरा कर
डरकर
भाग उठा फिर
हुई खत्म आजादी
खत्म हुआ जश्न
बादलों ने आजादी पर उसकी
पानी दिया फेर
खुश हुए बादल कुछ इस तरह
कि पानी दिया गेर
घबराता हुआ कांपता हुआ
जा पहुंचा वो
बादलों की कैद में
अब सोच रहा है
कैसे निकले वो
बादलों की कैद से
32 comments:
बहूत खूबसूरती से कैद किया है चाँद को
अपने ही अंदाज़ मैं मोहन जी
बहुत खूब
पहेलियों की भीड़ से निकलकर आपने अपनी कविता पेश की बहुत बढ़िया!
बादलों की कैद से तो
निकल ही जाएगा
कभी न कभी
पर फोटो की कैद
से नहीं निकल पाएगा
कभी।
bahut khubsurati se suraj/ya chand ki chanchalta aur badalon ka ziddipan bayan hua hai badhai
bahut khubsurti se kaid kiye hai aapne chand ko!achcha laga!
मोहन भाई निकला आये गा, जब उस से पहेली बुझो गे तो, बस किसी बहाने की जरुरत है.
बहुत सुंदर कविता कही आप ने .
धन्यवाद
ये किसने कह दिया कि आपको लिखना नहीं आता। क्या बढ़िया कविता कही है आपने सूरज जो सब को जला डालता है उसे बादल कितनी आसानी से कैद कर देता है और उसकी सारी गर्मी ठंडी पड़ जाती है। वाह वाह मोहन भाई वाह। आपको नए साल की शुभकामनाएं।
बहुत सुन्दर ! बहुत सरल ! मन को खुश करने वाली कविता !
घुघूती बासूती
मोहन जी नमस्कार,
अजी बादलों की कैद में ही रहे तो अच्छा है. एकदम मस्त कविता.
बादलों की कैद वाह , इसमे आजादी और कैद का जो चित्रण आपने किया है वो सुंदर है, सच कहा आजादी कुछ क्षणों की ही होती है ..और कैद ....
regards
वैसे चाँद को बादल के आगोश में रहना अच्छा लगता है, फिर भी गर चाँद आजाद होना चाहता है तो मुश्किल होगी.
नए साल की बधाई.
lagta hai kohre ka asar kavita par bhi pad gaya hai....
[suraj ko chaand samjh rahey hain padhne wale!]
kavita bahut achchee hai...
suraj ke dil ki baat bakhuubi pesh kar rahi hai...
aaj kal Suraj ki yahi mano vyatha hogi....
khubsurat prastuti.
मोहन जी इसे कहते हैं त्वरित संप्रेषण....
आपको बधाई...
इस खूबसूरत कैद में कौन न आना चाहे।
सुन्दर कविता, बधाई।
इसी जद्दोजहद में सभी लगे हैं...कैद तो कैद ही है चाहे कितनी भी खूबसूरत हो.
सुन्दर भाव,
नवनर्ष की मंगलकामनाऐं.
नियमित लिखते रहें.
बेहद ख़ूबसूरत जज़्बात मोहन साहब.
आपकी कविता के प्रभाव से पानीपत खिला-खिला रहा.......
Mohan ji,
Bahut achchhee kavita..bahut sundar foto.....donon ke liye hardik badhai.
बहुत सुंदर!
aap to kehte hain ki likhna nahin aata... matlab jhoot bolte hain...
मोहनजी acidity तो ट्रान्सफर होकर वहां से यहाँ आ गयी है. और आपकी कविता बहुत सुंदर है
नही करता मैं तुमको याद क्योंकि याद करने के लिए पड़ता है भूल जाना. बिल्कुल ठीक कहा है. मेरे भी दिल को छू गया.
बादलों को कितनी देर ये ग़लत फ़हमी रहेंगे की वे सूरज को ढांप कर रख सकते हैं...सूरज को तो एक न एक पल बाहर आना ही होता है...अच्छी रचना है आपकी...बधाई.
नीरज
mohan ji , aapne itni sundar sundar baaten likhi hai ,aur mausam ka bhi asar hai .. kavita ne dil ko choo liya hai .. saari panktiyan achai hai ..
is amulay rachan ke liye badhai ..
maine kuch nai nazme likhi hai ,dekhiyenga jarur.
vijay
Pls visit my blog for new poems:
http://poemsofvijay.blogspot.com/
mohan ji achchhi kavita hai. kuch kaid achchhe hote hain
बहुत सुंदर रचना ।
श्रद्वेय ब्रजमोहन जी, बहुत सुंदर रचना ।
गुना नाम सुन कर मुझे बरसों पहले बिछडे. एक मित्र ‘राजेन्द्र कुमार चतुर्वेदी’ जो किसी समय सी आर पी एफ में कार्यरत थे और बाद में मध्य प्रदेश पुलिस में सब इंस्पेक्टर भर्ती हो गए थे की याद हो आई । यदि किसी प्रकार आपके माध्यम से उनसे मुलाकात हो जाए तो आपका आभारी होउगां ।
मोहन जी यूँ तो आप पर कमेन्टस की जरूरत नहीं आप तो स्र्वत्र विद्यमान हैऔरेअपने भक्तों के मन को जानते हैं फिर भी लोगों को बताना चाह्ती हौऔं कि आपके भाव बहुत सुन्दर हं बधाई
आपका सहयोग चाहूँगा कि मेरे नये ब्लाग के बारे में आपके मित्र भी जाने,
ब्लागिंग या अंतरजाल तकनीक से सम्बंधित कोई प्रश्न है अवश्य अवगत करायें
तकनीक दृष्टा/Tech Prevue
very good
अच्ठा है महाराज। आपके प्रयास की सराहना करनी होगी। सच में बढ़िया है।
लेकिन वाकई में तुम कुछ हो किसी-किसी के लिए, बहुत कुछ हो कुछेक के लिए और सब कुछ हो किसी एक के लिए।
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