Tuesday, 20 October 2009

मतलब की दुनिया

उफ ये दुनिया ये मतलब की दुनिया
ये चेहरों पे चेहरे लगाती है दुनिया
ये भोले ये मासूम सुंदर से चेहरे
मगर दिल में इनके हैं काले अंधेरे
मतलब के रिश्‍ते बनाती है दुनिया
फिर तन्‍हा एक दिन छोड जाती है दुनिया
कभी दोस्‍त बनके हंसाती है दुनिया

कभी बनके दु‍श्‍मन रुलाती है दुनिया
कभी प्‍यार से लगाकर गले
पीछे से खंजर चुभोती है दुनिया
कभी खूबसूरत चेहरे पे न जाना
दिल देखकर फिर दिल को लगाना
इंसान को यही सिखाती है दुनिया
है दौलत यहां हर रिश्‍ते से ऊपर
दौलत के लिए अपनों का खून
बहाती है दुनिया
ऊफ ये दुनिया ये मतलब की दुनिया
-रजनी वशिष्‍ठ
(नोट - यह कविता मेरी पत्‍नी द्वारा लिखित है । )

14 comments:

Anonymous said...

वाह जी वाह बहुत खूब बहुत अच्‍छा लिखते हो कभी मुझे भी मेल कर दिया करो

प्रदीप कुमार

vandana gupta said...

waah .........sachchaayi bayan kar di hai.........bahut khoob.

Urmi said...

आपको और आपके परिवार को दीपावली और भाई दूज की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत सुंदर कविता लिखा है आपने! बढ़िया लगा!

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाह.... Wahwa....

mehek said...

bahut sunder,aaj ki duniya aisi hi hai,sab nakli,insaani fitrat bhi.

विनोद कुमार पांडेय said...

खूब खाका खींचा आपने मतलब की दुनिया की..बढ़िया भाव सुंदर गीत..बधाई

Alpana Verma said...

यही है समाज की कड़वी सच्चाई.
रजनी जी भी अच्छा लिखती हैं..उनसे कहीये ऐसे ही लिखती रहें.शुभकामनये.

plpandey said...

बहुत अच्छी कविता सच्चाई में पगी!

संदीप कुमार said...

bhut acchi lagi kavita aanand aa gaya...

संदीप कुमार said...

Bhut Acchi Lagi Kavita aanand aa gaya....

Seema Bisht said...

Bahut hi sunder rachna Mohan ji.....

Anonymous said...

बहुत खूब

Sumit Pratap Singh said...

भाभी जी को सुन्दर कविता के लिए बधाई...

राज भाटिय़ा said...

मोहन भाई बहुत सच्ची बात लिख दी इस कविता मे रजनी जी ने, मैने जिंदगी मे ऎसे किस्से बहुत देखे हे... धन्यवाद