उफ ये दुनिया ये मतलब की दुनिया
ये चेहरों पे चेहरे लगाती है दुनिया
ये भोले ये मासूम सुंदर से चेहरे
मगर दिल में इनके हैं काले अंधेरे
मतलब के रिश्ते बनाती है दुनिया
फिर तन्हा एक दिन छोड जाती है दुनिया
कभी दोस्त बनके हंसाती है दुनिया
कभी बनके दुश्मन रुलाती है दुनिया
कभी प्यार से लगाकर गले
पीछे से खंजर चुभोती है दुनिया
कभी खूबसूरत चेहरे पे न जाना
दिल देखकर फिर दिल को लगाना
इंसान को यही सिखाती है दुनिया
है दौलत यहां हर रिश्ते से ऊपर
दौलत के लिए अपनों का खून
बहाती है दुनिया
ऊफ ये दुनिया ये मतलब की दुनिया
-रजनी वशिष्ठ
(नोट - यह कविता मेरी पत्नी द्वारा लिखित है । )
14 comments:
वाह जी वाह बहुत खूब बहुत अच्छा लिखते हो कभी मुझे भी मेल कर दिया करो
प्रदीप कुमार
waah .........sachchaayi bayan kar di hai.........bahut khoob.
आपको और आपके परिवार को दीपावली और भाई दूज की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत सुंदर कविता लिखा है आपने! बढ़िया लगा!
वाह.... Wahwa....
bahut sunder,aaj ki duniya aisi hi hai,sab nakli,insaani fitrat bhi.
खूब खाका खींचा आपने मतलब की दुनिया की..बढ़िया भाव सुंदर गीत..बधाई
यही है समाज की कड़वी सच्चाई.
रजनी जी भी अच्छा लिखती हैं..उनसे कहीये ऐसे ही लिखती रहें.शुभकामनये.
बहुत अच्छी कविता सच्चाई में पगी!
bhut acchi lagi kavita aanand aa gaya...
Bhut Acchi Lagi Kavita aanand aa gaya....
Bahut hi sunder rachna Mohan ji.....
बहुत खूब
भाभी जी को सुन्दर कविता के लिए बधाई...
मोहन भाई बहुत सच्ची बात लिख दी इस कविता मे रजनी जी ने, मैने जिंदगी मे ऎसे किस्से बहुत देखे हे... धन्यवाद
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