Tuesday, 13 January 2009

हंसी का ठहाका लगाओ जरा धीरे से

हमें तो अपनों ने लूटा
गैरों में कहां दम था
मेरी हड्डी वहाँ टूटी,
जहाँ हॉस्पिटल बन्द था.


हमें तो अपनों ने लूटा
गैरों में कहां दम था
मेरी कार वहां खराब हुई
जहाँ गैराज बन्द था।

मुझे जिस एम्बुलेन्स में डाला,
उसका पेट्रोल ख़त्म था.
मुझे रिक्शे में इसलिए बैठाया,
क्योंकि उसका किराया कम था.

मुझे डॉक्टरों ने उठाया,
नर्सों में कहाँ दम था.
मुझे जिस बेड पर लेटाया,
उसके नीचे बम था.

मुझे तो बम से उड़ाया,
गोली में कहाँ दम था.
और मुझे सड़क में दफनाया,
क्योंकि कब्रिस्तान में फंक्शन था
नैनो मे बसे है ज़रा याद रखना,
अगर काम पड़े तो याद करना,
मुझे तो आदत है आपको याद करने की,
अगर हिचकी आए तो माफ़ करना.......

ये दुनिया वाले भी बड़े अजीब होते है
कभी दूर तो कभी क़रीब होते है
दर्द ना बताओ तो हमे कायर कहते है
और दर्द बताओ तो हमे शायर कहते है .......


एक मुलाक़ात करो हमसे इनायत समझकर,
हर चीज़ का हिसाब देंगे क़यामत समझकर,
मेरी दोस्ती पे कभी शक ना करना,
हम दोस्ती भी करते है इबादत समझकर........

नमस्‍कार दोस्‍तों आज मुझे मेरे एक खास दोस्‍त शेखर का दिल्‍ली से मेल आया मेल खोला तो देखा कि उसमें यह हास्‍य व्‍यंग्‍य है तो सोचा कि अभी लिखना तो हो नहीं पा रहा हे क्‍यों ना अपनी उपस्थिति दर्ज ही करा देंवें सो यह एक हास्‍य व्‍यंग्‍य यहां पर आपके सामने प्रस्‍तुत कर दिया है और यदि किसी भाई ने पहले ही यह ब्‍लाग पर लगा रखा हो तो मुझे बता दें मैं तुरंत ही हटा लूंगा क्‍योंकि यह मेरी अपनी रचना नहीं है और हां इसे हटवाने के लिए मुझे तीन दिन के अंदर ही बता दें तीन दिन के बाद किसी की कोई बात मान्‍य नहीं होगी फिर इसका फैसला ब्‍लाग जगत के दिग्‍गजों को सौंप दिया जाएगा।

33 comments:

कंचन सिंह चौहान said...

:) :)

Vinay said...

बढ़िया है!

आपका सहयोग चाहूँगा कि मेरे नये ब्लाग के बारे में आपके मित्र भी जाने,

ब्लागिंग या अंतरजाल तकनीक से सम्बंधित कोई प्रश्न है अवश्य अवगत करायें
तकनीक दृष्टा/Tech Prevue

Kirtish Bhatt said...

Jisne bhi liha ho ....hai to mazedar :D :D

aap ne prastut kar diya isliye aapko bhi badhai

ghughutibasuti said...

बहुत बढ़िया !
घुघूती बासूती

seema gupta said...

" ha ha ha ha ha ha ha ha ha each one is superb ek se bdh kr ek..."

regards

राज भाटिय़ा said...

मुझे डॉक्टरों ने उठाया,
नर्सों में कहाँ दम था.
मुझे जिस बेड पर लेटाया,
उसके नीचे बम था.
अरे बाप रे....
फ़िर भी बच गये आप तो.बधाई हो.
बहुत ही हास्य भरी कविता,धन्यवाद

मोहन जी यह ऊपर की चारो लाईने मेने आप के ब्लांग से कापी की है, यानि आप के इस लाक का कोई लाभ नही, कहो तो सारी पोस्ट ही कापी कर के आप को मेल से भेज दु

Alpana Verma said...

wah wah bahut majedaar hai yah to..:)

chaleeye aap ki upasthiti bhi darj ho gayee aur yahan kavita ke madhyam se hansi ka rang bhi bikhar gya.

संगीता पुरी said...

बहुत मजेदार रहा।

ताऊ रामपुरिया said...

हां जी अक्सर किस्मत वहीं साथ छोडती है जहां उसे साथ देना चाहिये. :)

नीरज मुसाफ़िर said...

mohan ji,
apka dost to bada hi khadoos hai

नीरज मुसाफ़िर said...

mohan ji,
apka dost to bada hi khadoos hai

Unknown said...

mast rahi..maza aa gaya padh kar..

makrand said...

maja aagya mohan ji
bahut khub

गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

सच ही कहा गया है भाई, मुसीबत अपने पूरे परिवार के साथ पर्यटन पर निकलती है।

admin said...

बहुत ही मजेदार हैं। बधाई।

naresh singh said...

मुझे तो बोतल ने लूटा पव्वा मे कहा दम था,
नशा ही वहा टूटा जहां ठेका ही बन्द था

Amit Kumar Yadav said...

आपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!

Dev said...

आपको लोहडी और मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएँ....

Atul Sharma said...

मैंने भी आपका ब्‍लॉग वहीं पढना छोडा,
जहां पर यह खत्‍म था।
शुभकामनाओं सहित
अतुल

hem pandey said...

आप इस कविता को हास्य में मत टालिए. हाँ तीखा व्यंग्य जरूर है. अन्तिम दो पंक्तियाँ गंभीर हैं.

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाह मोहन जी बढ़िया हास्यमय प्रस्तुति. आप दोनों को धन्यवाद.
भाटिया जी ने ताला तोड़ दिया ये रोहतक की आदतें जरमनी में भी नहीं छूटी. उन को भी बधाई.

N Navrahi/एन नवराही said...

भाया टिप्‍पणी बहुत बढिया हैा

दिगम्बर नासवा said...

जो भी है मोहन जी.............अच्छा हास्य है इसमें
पूरी रचना ही सुंदर मिश्रण है..........अलग अलग भावों का

Anonymous said...

He he ha ha he he ha ha
wah maza aa gaya

-------------------------"VISHAL"

vijay kumar sappatti said...

kya baat hai mohan ji , maza aa gaya ,poori kavita teen baar pad chuka hoon aur hans raha hoon , wah bhai wah .. is comedy ne to mera din bana diya .... bahut dil se badhai ..

haaan ji , maine bhi kuch naya likha hai , is baar to aapko pakka pasand aayenga ..

aapka
vijay

Prakash Badal said...

मुझे तो आपके चुटकुलों ने लूटा, औरों में कहाँ दम था वरना ज़िन्दगी में हंसी कहाँ आती इतना गम था।

हा हा हा

seema gupta said...

" wowwwwwwwwwwwww wonderful template..."

Regards

Science Bloggers Association said...

जितनी बार पढो, उतना ही मजा आता है। बहुत खूब।

Alpana Verma said...

blog ka naya ruup bahut sundar hai.
koi nayi rachan nahin post ki???

Vinay said...

तुमने कहा कि मैंने जवाब नहीं दिया भई अपना मेल बाक्स चेक करो और फिर बताओ या तुमने अपना गलत मेल पता दिया होगा, मैंने उत्तर स्वरूप कहा है कि contact from utf-8 encoding support नहि करता सो इंग्लिश में संदेश दिया करें! ख़ैर कुछ बताओ कि हुआ क्या?

राज भाटिय़ा said...

मोहन जी लगता है आप के बेड के नीचे नकली बम था/ है, उसे चेक कर के देखो फ़टता है या नही??
हद हो गई अब बम्ब भी नकली मिलने लगे..:)

हरकीरत ' हीर' said...

Mohan ji ab is bomb ko hod bhi daliye aur dusra koi bomb laiye....

Anonymous said...

very nice mohan ji...

dil khush ho gaya 15 yrs old DILWALE film ke diolouge ko kya khoob rang diya hai apne...

Keep it up