Friday, 25 June 2010

तेरी अदा

मोटी मोटी आँखें

रंग आँखों का काला
नागिन सी जुल्फें काली
घटा सी भारी भारी
लहराती है कमर पर
जब चलती है तू इठलाकर

वों तेरा बातें करना
व़ो तेरा हंसना मुस्कुराना
रूठकर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराना
कर जाता है घायल
हो जाते हैं कायल
चलता है जब
इक तीर जिगर पर
जब देखती है तू आँखें मिचलाकर

नहीं है ठीक सीने जिगर पर
अंखियों का वार करना
तेरा बंद आँखों से सब कुछ कह जाना
कर जाता है घायल
तुम्हारा अपने आप में यूँ सिमट जाना
मगर जब
कहते हो बातें भी न करना
न हाल दर्दे दिल का सुनना
और न अपने दिल का हाल सुनाना
मार डालेगा ये बेरुखी का आलम तुम्हारा

16 comments:

फ़िरदौस ख़ान said...

बहुत सुन्दर रचना है...

राज भाटिय़ा said...

अरे वाह बहुत ही सुंदर कविता, लेकिन इसे कविता नही हकीकत कहेगे जी..... क्योकिआज से बहुत साल पहले हमारे होठो पर ऎसे ही वाक्या किसी के लिये हुआ करते थे...... हाय वो दिन कहां गये.... लेकिन इस बीमारी का इलाज जल्द होना चाहिये, वर्ना बीमारी गले पड गई तो कठिन होगा

मोहन वशिष्‍ठ said...

bhatiya ji shaadi ho gayee hai 2 chhote chhote bachche bhi hain aap kya kar rahe ho ye baat yahan par mat bolo na

समय चक्र said...

और न अपने दिल का हाल सुनाना
मार डालेगा ये बेरुखी का आलम तुम्हारा

क्या बात है मोहन जी ..... बढ़िया भाव प्रेमिका के लिए .... वाह

Anonymous said...

चलता है इक तीर जिगर पर
जब देखती है तू आँखें मिचलाकर

उफ़ ये अदा!

राम त्यागी said...

मोहन का मन तो बड़ा प्यारा है ...

स्वप्न मञ्जूषा said...

मगर जब
कहते हो बातें भी न करना
न हाल दर्दे दिल का सुनना
और न अपने दिल का हाल सुनाना
मार डालेगा ये बेरुखी का आलम तुम्हारा

बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ...

Unknown said...

bhut achi likha hai apne...gud keep it up

Urmi said...

बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने लाजवाब रचना लिखा है जो प्रशंग्सनीय है! बधाई!

पंकज मिश्रा said...

मोहन भाई बुरा मत मानिएगा एक गाना याद आ रहा है। फिल्म मन का काले नागिन के जैसे जुल्फें तेरी काली-काली।
खैर ये तो रही फिल्म की बात। कविता बहुत शानदार बन पड़ी है। आपको बधाई और शुभकामनाएं। लिखते रहिए ताकि हम लोग पढ़ते रहें।

हरकीरत ' हीर' said...

ha ...ha...ha ....Raz ji ki muskurahat dekh hansi aa gayi ....Mohan ji dil to din aa gya jo kisi pe pyar to kya kije......

kuchh nahin to ye pyar bhri kavita kiske liye ....?

मोहन वशिष्‍ठ said...

harkirat ji aisa vaisa kuchh nahi hai jaisa sab log soch rahe hain bas vo to un hi gaahe bagahe dil me kuchh aaya likhne ka to koshish kar li kahin mera subject ka chunav to galat nahi hai

राजकुमार सोनी said...

रचना तो शानदार है ही। आपको जन्मदिन शुभकामना भी।

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

सचमुच कातिलाना है ये अदा।
................
अपने ब्लॉग पर 8-10 विजि़टर्स हमेशा ऑनलाइन पाएँ।

अनामिका की सदायें ...... said...

सुंदर रचना.

Alpana Verma अल्पना वर्मा said...

वों तेरा बातें करना
व़ो तेरा हंसना मुस्कुराना
रूठकर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराना'

-बहुत खूब..
क्या बात है!

अच्छी कवितायेँ लिखने लगे हैं आप..अच्छा लगा.