सर्वप्रथम आप सभी को मांतृत्व दिवस की हार्दिक बधाईं इस उपलक्ष्य पर मैं मां के लिए दो शब्द आपके सामने प्रस्तुत करना चाह रहा हूं आशा है आप सबको पसंद आएंगे
मेरी मां
बूढी है मगर
अभी भी बच्चों के लिए
रखती है हौंसला
अपने 40 साल के बेटे को
गोद में उठाने की और
उसे वही लाड प्यार करने की
जो करती थी तब
जब वह खुद थी 40 साल की और
बेटा था कुछ ही साल का
मगर क्या हुआ
अभी भी उसकी बाजुओं में जान नहीं
लेकिन उसका ये निस्वार्थ प्यार
है ना उसके साथ
9 comments:
मां तुझे सलाम...
बहुत ही ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना! मात्री दिवस पर उम्दा प्रस्तुती!
mohan bina bansuri k
maza aa gaya sachi bahut khooob
जब भी सोचता हूं मां के बारे में
पूछता हूं खुद से,
उसे भगवान क्यों
नहीं कहता
कोई कानों में कह जाता है
पागल
भगवान कहीं मां बन सकता है।
माँ के बारे में आपने कित्ती प्यारी कविता लिखी...बधाई.
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पाखी की दुनिया में- 'जब अख़बार में हुई पाखी की चर्चा'
Maa jaisa doosara karishma qudrat bana nahi payi..!
"Simte lamhe pe" zaroor padhen...Maataaonka ek roop yah bhi".
nice
शुभकामनायें आपको सुन्दर प्रयासों के लिये....
कृपया यह ज़रूर बतायें कि इतना सुन्दर टेम्पलेट कहाँ से पाया, कृपया तरीका भी बतायें...
मेरा ईमेल है:
chandar30@gmail.com
सादर
डॉ. चन्द्रजीत सिंह
lifemazedar.blogspot.com
kvkrewa.blogspot.com
कृपया इन ब्लॉगों को Mozila Firefox ब्राऊज़र के ज़रिये पढें...
बहुत से गहरे एहसास लिए है आपकी रचना ...
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