Monday, 29 June 2009

कविता खो गई

कविता खो गई
मेरी अपनी
जिसे लिखा था मैंने
बहुत ही निराले अंदाज में
खो गई कहीं
कहां ढूंढूं
कहां खोजूं
किस किताब में दबी होगी
किताब में होगी भी, या नहीं
कहीं
मेरे भीतर ही तो नहीं खो गई
पता नहीं
क्‍या सच में मुझसे खो गई
या आंख मिचौली खेल रही है
पता नहीं
क्‍यों नहीं मिल रही मुझे
मेरी कविता

18 comments:

डॉ. मनोज मिश्र said...

क्‍या सच में मुझसे खो गई
या आंख मिचौली खेल रही है..............
आंख मिचौली ही खेल रही है ,बधाई .

ओम आर्य said...

bahut hi sundar bhaw kawita jiwan ki jarurat hohi hai ................

अविनाश वाचस्पति said...

कविता
कविता न रही

सपना हो गई।

अविनाश वाचस्पति said...

कविता
कविता न रही

सपना हो गई।

Anonymous said...

कविता की तलाश अच्छी लगी,,

Nitish Raj said...

अच्छी लगी खोई हुई कविता। निरंतरता बनाओ मोहन काफी कम लिख रहे हो।

Udan Tashtari said...

क्‍या सच में मुझसे खो गई
या आंख मिचौली खेल रही है

-इत्ते दिन बाद दिखे हो तो खेल ही रही होगी मिलने की खुशी में-धीरज धरो, मिल जायेगी. :)

Vinay said...

मोहन जी बहुत शानदार पेशकश!

---
चर्चा । Discuss INDIA

सुशील छौक्कर said...

अब जिदंगी भूलकड हो गई है। बहुत खूब।

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर, भाव लिये है आप की यह कविता, जरुर मिलेगी

M VERMA said...

अपने भीतर कविता की तलाश ---
वाह -- वाह

हरकीरत ' हीर' said...

मोहन जी ,

तलाश जारी रखें ....मुझे उम्मीद है वो आपसे ज्यादा दिन दूर नहीं रह सकती .....!!

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया रचना है।बधाई

Alpana Verma said...

कविता की तलाश में एक कविता बन गयी..क्या बात है!
भावों में उलझते रहीये....इसी तरह कवितायेँ बनती हैं.

Urmi said...

वाह वाह मोहन जी क्या बात है! आपने दिल से, पूरे भाव के साथ इतना सुंदर कविता लिखा है की क्या कहूँ! वाकई में आपकी हर एक कविता एक से बढकर एक है!

vijay kumar sappatti said...

waah mohan ji ,kya baat hai

jara apne man ko tatol lijiye .....zara " kisi" aur ke man me bhi jhaank lijiye .... bus sir ji aapke hontho tak to pahunch gayi hi hai ..phir chinta kahe ki ...


aapne bahut sundar shabdo me ek pyaari si kavita likhi hai ..

mera man prasaan ho gaya..

bahut si badhai

shama said...

ना , ना करते एक कविता तो लिख ही डाली ... 'वो ' नही तो शायद , 'ये ' उससे बेहतर मिली ...!

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vandana gupta said...

waah........kya khoob bhav hain........kavita ko dhoondhne mein hi kavita ban jana........bahut badhiya