कविता खो गई
मेरी अपनी
जिसे लिखा था मैंने
बहुत ही निराले अंदाज में
खो गई कहीं
कहां ढूंढूं
कहां खोजूं
किस किताब में दबी होगी
किताब में होगी भी, या नहीं
कहीं
मेरे भीतर ही तो नहीं खो गई
पता नहीं
क्या सच में मुझसे खो गई
या आंख मिचौली खेल रही है
पता नहीं
क्यों नहीं मिल रही मुझे
मेरी कविता
18 comments:
क्या सच में मुझसे खो गई
या आंख मिचौली खेल रही है..............
आंख मिचौली ही खेल रही है ,बधाई .
bahut hi sundar bhaw kawita jiwan ki jarurat hohi hai ................
कविता
कविता न रही
सपना हो गई।
कविता
कविता न रही
सपना हो गई।
कविता की तलाश अच्छी लगी,,
अच्छी लगी खोई हुई कविता। निरंतरता बनाओ मोहन काफी कम लिख रहे हो।
क्या सच में मुझसे खो गई
या आंख मिचौली खेल रही है
-इत्ते दिन बाद दिखे हो तो खेल ही रही होगी मिलने की खुशी में-धीरज धरो, मिल जायेगी. :)
मोहन जी बहुत शानदार पेशकश!
---
चर्चा । Discuss INDIA
अब जिदंगी भूलकड हो गई है। बहुत खूब।
बहुत सुंदर, भाव लिये है आप की यह कविता, जरुर मिलेगी
अपने भीतर कविता की तलाश ---
वाह -- वाह
मोहन जी ,
तलाश जारी रखें ....मुझे उम्मीद है वो आपसे ज्यादा दिन दूर नहीं रह सकती .....!!
बहुत बढिया रचना है।बधाई
कविता की तलाश में एक कविता बन गयी..क्या बात है!
भावों में उलझते रहीये....इसी तरह कवितायेँ बनती हैं.
वाह वाह मोहन जी क्या बात है! आपने दिल से, पूरे भाव के साथ इतना सुंदर कविता लिखा है की क्या कहूँ! वाकई में आपकी हर एक कविता एक से बढकर एक है!
waah mohan ji ,kya baat hai
jara apne man ko tatol lijiye .....zara " kisi" aur ke man me bhi jhaank lijiye .... bus sir ji aapke hontho tak to pahunch gayi hi hai ..phir chinta kahe ki ...
aapne bahut sundar shabdo me ek pyaari si kavita likhi hai ..
mera man prasaan ho gaya..
bahut si badhai
ना , ना करते एक कविता तो लिख ही डाली ... 'वो ' नही तो शायद , 'ये ' उससे बेहतर मिली ...!
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waah........kya khoob bhav hain........kavita ko dhoondhne mein hi kavita ban jana........bahut badhiya
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