बहुत दिनों बाद आज आना हो पाया है आप सभी के बीच। ये 20-25 दिन बहुत भारी बीते और आप सभी को तो बहुत ही याद किया। हर रोज ख्याल आता था कि आज कौन सी पोस्ट और कौन सी कविता आई होगी किसने किसकी पोस्ट उठा कर अपने ब्लाग पर पोस्ट की होगी किसी ने मेरा ब्लाग खोला होगा आदि आदि। दरअसल पिछले दिनों में मेरी बिटिया जो अभी पांचवे साल में चल रही है और उसे डायरिया होने की वजह से अस्पताल में 7-8 दिन तक रहना पडा इस कारण आप सभी से अचानक दूरी बना दी इस डायरिया ने। लेकिन अब वह बिल्कुल ठीक है। इस कारण से 8-10 दिन की दूरी हो गई। फिर एक आफत आ गई हमारे इंटरनेट साहब जी को उनको भी लू लग गई और वो भी छुटटी लेकर चले गए और बना गए आपसे हमारी दूरी कुछ दिन के लिए अब दो दिन पहले ही इंटरनेट साहब पधारे हैं ठीक होकर तो सोचा चलो अब आप सभी के हालचाल पूछ ही लेते हैं। इन दिनों हम अपने बलाग का जन्मदिन भी नहीं मना पाए। क्योंकि 15 तारीख को ही हमारे इस ब्लाग का जन्म हुआ था। अब आप सभी के बीच में आने का मन बना लिया तो नया तो कुछ नहीं बस एक छोटी सी कोशिश की है लिखने की वो आप सभी बताएंगे कि कोशिश कैसी रही। यह कविता मैं अपनी बिटिया को डैडिकेट कर रहा हूं तो आप पढें और बताएं
बेटियां कितनी जल्दी बडी हो जाती हैं
इस बात का पता शायद ही
किसी मां बाप को ना चले
दिन निकल जाते हैं यों ही
अभी कुछ दिन पहले ही तो
उसने चलना शुरू किया था
आज दौडने भी लग गई
अभी कुछ दिन पहले तक तो
ठीक से बोल भी नहीं पाती थी
लेकिन आज गाना गाने लगी
आज जन्मदिन है उसका चौथा
पांचवा भी करीब है
और यूं ही देखते देखते
हो जाएगी बडी
और फिर
उड जाएगी छोडकर पिता का घर
16 comments:
मोहन जी आपने बड़े खूबसूरती और सरलता के साथ लिखा है कि दिल को छू लिया! मैं समझ सकती हूँ की बच्चे अगर बीमार पर जाए तो माँ पिताजी को कितनी तकलीफ होती है! जब मैं आपका पोस्ट पड़ रही थी तो मेरी ऑंखें नम हो गई क्यूंकि मैं अपने पापा के बारे में सोच रही थी! जब मैं बीमार होती थी पापा मेरे सिरहाने रात रात भर जागकर बैठे रहते थे! मैं अपने पापा की बहुत ही लाडली बेटी हूँ! मेरे दो भाई हैं पर बिटिया तो एक ही है!
आपकी बेटी अभी पूरी तरह से ठीक हो गई है ये सुनकर बहुत अच्छा लगा! बेटी को मेरा ढेर सारा प्यार दीजियेगा और मैं उसके लिए भगवान से प्रार्थना करुँगी की वो बड़ी होकर अपने माँ पिताजी का नाम रोशन करें!
बहुत ही प्यारी कविता लिखा है आपने अपनी बिटिया पर ! मुझे बेहद पसंद आया! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ की जाए कम है! बेहतरीन कविता के लिए बहुत बहुत बधाई!
बेटियों के बहाने आपने आपने समाज के एक पक्ष पर गम्भीर बातें लिख दीं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बिटिया अब ठीक होगी .. कविता बहुत ही पसंद आई ...सच्ची है इस लिए अच्छी लगी
सही लिखा आपने बेटियों के बारें में। और अब बेटी ठीक होकर शरारतें करती होगी।
बिटिया को प्यार एवं शुभकामनाएं.... अभी छोटी है, सर्दी-गर्मी का ध्यान रखा करो भाई....
बेटी जिसके पास नहीं वह अमीर नहीं . मेरी तो एक ही बेटी है और वह मुझ से दूर हास्टल में पढ़ रही है यह उसका ही फैसला है और मुझे लगता है वह बहुत बड़ी हो गई है .
अरे मोहन जी जब बच्चा बिमार हो तो मां बाप को कुछ भी अच्छा नही लगता, मै भी बहुत दुखी हो जाता हुं, चलिये अब बिटिया रानी ठीक हो गई है, अब ओर आज से ही आप सब पानी को उवाल कर पीये, वासी खाना मत खाये, ओर बाजार से या होटल से खाना मत खाये,
आप की कविता बहुत सुंदर लगी, चलिये बिटिया को एक बार हारी तरफ़ से बहुत बहुत प्यार करे.
राम राम जी की
दिल को छूने वाली रचना....वाकई बेटियाँ परायी ही होती हैं, पर दिल उन्हें कभी भी पराया नहीं करता.
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विश्व पर्यावरण दिवस(५ जून) पर "शब्द-सृजन की ओर" पर मेरी कविता "ई- पार्क" का आनंद उठायें और अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएँ !!
गर्मिया ...बडो के लिए तो खतरनाक है ही.....नन्हों के लिए ओर मुश्किल है..बाहर का खाना बिलकुल बंद रखे....कभी वक़्त मिले तो गुलज़ार कि बोस्की अपनी बिटिया के लिए लिखी नज्मे पढियेगा....
वक़्त को मैंने गुजरते देखा नहीं.....बस ठहरते देखा है....
दिल को छूने वाली रचना....बेहतरीन कविता के लिए बहुत बहुत बधाई!
१५ जून को आप के ब्लॉग का जन्मदिन है..अग्रिम बधाईयाँ.
अपनी बिटिया के चोथे जन्मदिन पर लिखी आप की यह कविता बहुत ही भावपूर्ण है.
सुनकर बहुत दुःख हुआ कि नन्ही गुडिया को इतने दिन बीमारी के कारण परेशानी झेलनी पड़ी.पानी उबाल और छान कर पिया और पिलाया करें.
बच्चों को खासकर बाहर का खाना-पीना न खिलाएं.
ध्यान रखीये.
[नयी पोस्ट देखते ही कई बार आप के ब्लॉग पर आ कर टिप्पणी करने कि कोशिश की थी मगर इन्टरनेट एक्स्प्लोरर साईट बंद कर देता था.अब मोजिला ब्राउजर से पोस्ट कर पा रही हूँ.]
yeh bahut achhi kavita lagi.
Behad sundar rachana...apnee betee ko yaad karte hue maine likha tha," tera bachpan to mere haathon se fisal gaya...tujhe theek se baahon me bharbhee nahee paayee.."
Mujhe hamesha lagta raha, maa kaa dil hee itnaa komal hota hai...
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"maatru diwas" ke tehet..
mohan ji
aapki beti ko meri der saari shubkaamnaye...
aur meri " bitaiya " poem bhi us ke liye ....ek baar padhkar use suna dijiyenga ..
aabhar
Mohan ji Aap ko aaj 30 june...जन्म दिन की बहुत sari बधाईयाँ और शुभ कामनाएँ.ishwar hamesha aap ko swasthy aur prasnn rakhe.
Aak ek baar ye post padhee...aur phir ek baar aankh bhar aayee...
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