Wednesday, 4 March 2009

योगेन्‍द्र मौदगिल जी की किताब की समीक्षा

दिन 22 फरवरी 2009 के रविवार के दैनिक भास्‍कर के अंक में रसरंग मैग्‍जीन में छपी योगेन्‍द्र मौ‍दगिल जी की किताब अंधी आंखें गीले सपने की समीक्षा पढी। पढकर बहुत ही अच्‍छा लगा। ज्ञात हो कि श्री मौ‍दगिल अपने कई ब्‍लाग भी चलाते हैं। कवि योगेन्‍द्र मौदगिल इनका बहुत ही च‍र्चित ब्‍लाग है। इतना बडा लेखक बहुत ही सहज अपनी बात कह जाता है। यह समीक्षा पंजाब के जाने माने लेखक श्रीमान मनिदंर सिंह कांग ने की।


(फोटो पर क्लिक कर व्‍यू बडा कर सकते हैं)
श्री कांग ने मौदगिल साहब के काम की काफी सराहना की और उनकी पीठ थपथपाई। श्री कांग भी पंजाब के जाने माने गजलकार हैं। अब ज्‍यादा तो मैं क्‍या कहूं आप खुद ही पढ लो श्री मौदगिल साहब की समीक्षा। क्‍योंकि मेरे पास शब्‍दों का भंडार नाममात्र भी नहीं है। तो मैं कैसे उनकी समीक्षा कर सकता हूं।


मौदगिल साहब हरियाणा के हास्य-व्यंग्य कवि एवं गज़लकार हैं। उनकी कविता की 6 मौलिक एवं 10 संपादित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्‍होंने भारत भर में अनेक मंचीय काव्य यात्राएं की हैं। अनेक सरकारी-गैर सरकारी संस्थानों व क्लबों से सम्मानित किए जा चुके हैं, उनमें 2001 में गढ़गंगा शिखर सम्मान, 2002 में कलमवीर सम्मान, 2004 में करील सम्मान, 2006 में युगीन सम्मान, 2007 में उदयभानु हंस कविता सम्मान और 2007 में ही पानीपत रत्न के सम्‍मान से नवाजा जा चुका है। सब टीवी, जीटीवी, ईटीवी, एमएचवन, चैनल वन, इरा चैनल, इटीसी, जैनटीवी, साधना, नैशनल चैनल आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से नियमित कवितापाठ करते आ रहे हैं। हरियाणा की एकमात्र काव्यपत्रिका कलमदंश का पिछले 6 वर्षों से निरन्तर प्रकाशान व संपादन करते आ रहे हैं। दैनिक भास्कर में 2000 में हरियाणा संस्करण में दैनिक काव्य स्तम्भ तरकश का लेखन। दैनिक जागरण में 2007 में हरियाणा संस्करण में दैनिक काव्य स्तम्भ मजे मजे म्हं का लेखन। अब तक पानीपत, करनाल एवं आसपास के जिलों अपितु राज्‍यों में 50 से अधिक अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों के सफल संयोजन में भी मौदगिल साहब की सहभागिता रही

11 comments:

Anonymous said...

हमारे मित्र की उपलब्धियों से हमें अवगत कराया. हमारी बधाईयाँ और शुभकामनायें. आभार.

राज भाटिय़ा said...

अजी हमारे तो अजीज है, योगेन्दर जी बहुत ही सुंदर लगा किसी अन्य से उन के बारे पढ कर, वेसे मै उन की कवितये, गजले, ओर हास्य सामग्री रोजाना ही पढाता हू, जिस मे एक सच छुपा होता है,आप का बहुत बहुत धन्यवाद

Alpana Verma said...

योगेन्द्र जी की इस किताब के बारे मे जानकर खुशी हुई .
आभार .

आप को मेरा गीत ’ये दिल और उनकी”पसन्द आया.:)धन्यवाद.

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत आभार आपक कवि वर का परिचय करवाने के लिये.

रामराम.

नीरज गोस्वामी said...

योगेन्द्र जी ने ये पुस्तक हम तक बहुत प्यार से पहुंचाई थी, उस दिन से जो इसे पढना शुरू किया तो आज तक नहीं छोडा...हमारे पास रहती है और हम इसे गाहे बगाहे पढ़ते रहते हैं...योगेन्द्र जी निसंदेह एक विलक्षण रचनाकार हैं और हम तो भाई इनके जबरदस्त पंखे( फैन) हैं...
नीरज

संगीता पुरी said...

योगेन्‍द्र जी के बारे में विस्‍तार से जानकारी देने के लिए बहुत बहुत धन्‍यवाद ... योगेन्‍द्र जी को उनकी सफलताओं के लिए बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।

रंजू भाटिया said...

योगेन्‍द्र जी के बारे में जानकार अच्छा लगा ..बहुत बधाई और शुभकामनाएं

Udan Tashtari said...

योगेन्‍द्र मौदगिल जी के हम शुरु से प्रशंसक रहे हैं. आपकी कलम से उनके बारे में जानकार अच्छा लगा ..बहुत बधाई और शुभकामनाऐं.

डॉ .अनुराग said...

ढेरो बधाई ...समाज के सच को सामने लाने की उनकी भी एक खास लेखन शैली है जो व्यंग्य के साथ सन्देश भी दे जाती है

योगेन्द्र मौदगिल said...

भई वाह.. मोहन जी, इस प्रकाशन के लिये धन्यवाद देकर आपके स्नेह को हल्काऊंगा नहीं. बहुत अच्छा लगा. आप को बधाई और हां कांग साहब का पता या फोन नं- मुझे भेजें..
गीत जी, काली जी एवं समस्त भास्कर रसरंग टीम को साधुवाद...

Science Bloggers Association said...

योगेन्‍द्र जी लाजवाब कवि हैं, जो भी लिखते हैं धांसू लिखते हैं। उनके इस संग्रह से परिचित कराने के लिए हार्दिक आभार।